Monday 5 September 2016

या तो मैं गलत समय पर इस संसार में हूँ, या गलत स्थान पर हूँ .....

या तो मैं गलत समय पर इस संसार में हूँ, या गलत स्थान पर हूँ .....
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जैसा स्वभाव भगवान ने मुझे दिया है, उसके अनुसार तो इस संसार में मैं बिलकुल अनुपयुक्त यानि misfit हूँ| परमात्मा की परम कृपा से ही अब तक की यात्रा की है, इसमें मेरी कोई महिमा नहीं है| संभवतः परमात्मा को मुझ पर विश्वास यानि भरोसा था इसीलिए उन्होंने मुझे यहाँ भेज रखा है| विश्वासघात तो मैं परमात्मा से कर नहीं सकता, पर एक प्रार्थना अवश्य कर सकता हूँ कि ......
हे प्रभु, जहाँ भी तुमने मुझे रखा है, वहीँ तुम्हें आना ही पडेगा| तुम्हें यहीं आना पडेगा| ॐ ॐ ॐ ||

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