हम कोई मंगते भिखारी नहीं हैं| हम कुछ माँग नहीं रहे| उसका जो कुछ भी है उस
पर हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है| उसकी सर्वव्यापकता हमारी सर्व व्यापकता है,
उसका आनंद हमारा आनद है, उसका सर्वस्व
हमारा है| उससे कम हमें कुछ भी नहीं चाहिये| एक पिता की संपत्ति पर पुत्र
का अधिकार होता है, वैसे ही उसकी पूर्णता पर हमारा पूर्ण अधिकार है|
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