Tuesday, 7 October 2025

जीवन का उद्देश्य अपने सच्चिदानंद रूप में स्थित होना है |

 जीवन का उद्देश्य अपने सच्चिदानंद रूप में स्थित होना है |

माता-पिता को चाहिए कि वे अपने छोटे बच्चों में अपने सदाचरण से अच्छे संस्कार दें, उनमें परमात्मा के प्रति प्रेम जागृत करें, और उन्हें ध्यान करना सिखाएँ | इससे बालक नर्सरी की कविताएँ और वर्णमाला सीखने से पहिले ही ध्यान करना सीख जायेंगे, उनमें अति मानवीय गुणों का विकास होगा और किशोरावस्था में वे कामुकता और क्रोध से मुक्त होंगे | ऐसे बालक अति कुशाग्र और प्रतिभाशाली होंगे|
ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
०८ अक्टूबर २०१६

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