Tuesday, 1 July 2025

धर्म कभी नष्ट नहीं हो सकता ---

धर्म कभी नष्ट नहीं हो सकता। धर्म ही इस सृष्टि का संचालन कर रहा है। यह सृष्टि अंधकार और प्रकाश का खेल है। अंधकार के बिना भी यह सृष्टि नहीं चल सकती। अंधकार ही तमोगुण है। हमारे सारे दुःखों, कष्टों और पीड़ाओं का मुख्य कारण -- तमोगुण की प्रधानता है। हमें तमोगुण से रजोगुण, रजोगुण से सतोगुण, और सतोगुण से गुणातीत होने की साधना करनी ही पड़ेगी। साधना द्वारा वीतराग और स्थितप्रज्ञ भी होना होगा।

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इस भौतिक और सूक्ष्म सृष्टि से परे भी अनेक हिरण्यमय लोक हैं, जहाँ अति उन्नत आत्माएँ निवास करती हैं। हम जो कुछ भी हैं वह हमारे पूर्व जन्मों के कर्मों का फल है। भविष्य में जो भी हम होंगे वह इस जन्म के कर्मों का फल ही होगा। हमारा लक्ष्य है -- भगवत्-प्राप्ति।
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सारा ज्ञान उपनिषदों और श्रीमद्भगवद्गीता में है। जैसा हम सोचते हैं वैसे ही हो जाते हैं। इसलिए निरंतर भगवत्-चिंतन परमावश्यक है। परमात्मा को उपलब्ध होकर ही हम इस आवागमन के चक्र से मुक्त हो सकते हैं। हमारा सर्वोपरी प्रथम अंतिम और एकमात्र उद्देश्य आत्म-साक्षात्कार, भगवत्-प्राप्ति, यानि ईश्वर की प्राप्ति है। .
धर्म की रक्षा धर्म के पालन से होती है, प्रचार से नहीं। धर्मशिक्षा के अभाव में हिन्दू समाज संकटों के घेरे में हैं। खतरा बहुत गहरा है। धर्म का पालन ही महाभय से हमारी रक्षा करेगा।
हिंदुओं पर -- जिहाद, क्रूसेड, मार्क्सवाद, मैकालेवाद, और सेक्युलरिज़्म का बड़ा भारी छद्म आक्रमण चल रहा है, जिसे समझने में हम प्रमाद कर रहे हैं। यदि हमें अपनी रक्षा करनी है तो अपने सनातन धर्म का पालन बड़ी दृढ़ता से करना ही होगा।
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२ जुलाई २०२४

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