Saturday, 28 June 2025

भारत को देसी गायों के गोवंश से विहीन करने का अंतर्राष्ट्रीय षड्यंत्र ---

 जिस तरह भारत की प्राचीन शिक्षा व्यवस्था और कृषि व्यवस्था नष्ट कर दी गयी थी, उसी तरह भारत को देसी गायों के गोवंश से विहीन करने का तो निश्चित रूप से एक अंतर्राष्ट्रीय षड्यंत्र चल रहा है| एक देसी गाय को बहुत ऊँची कीमत पर खरीदा जाता है और उससे दुगुणी कीमत पर गोमांस का निर्यात कर दिया जाता है|

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योरोपीय देशों में भारत की देसी गाय का मांस बहुत अधिक लोकप्रिय है पर वहाँ काटने के लिए गायें ही नहीं बची हैं, इसलिए वे भारत से गोमांस का आयात कर रहे है| विश्व में भारत गोमांस का सबसे बड़ा निर्यातक देश है| जब कोई यह प्रश्न उठाता है कि दूध कहाँ से आएगा तो कहा जाता है कि ऑस्ट्रेलिया से विलायती गायों का चाहे जितना दूध मोल मिल जाएगा| जहाँ गायें काटी जाती है उन कत्लखानों के मालिक बड़े बड़े प्रभावशाली सत्तासीन लोग हैं| उन्हें अपने लाभ से ही मतलब है| पश्चिम की सोच यह कि जो ईसाई नहीं हैं वे नष्ट भी हो जाए तो कुछ फर्क नहीं पड़ता|
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धरती की प्राकृतिक खाद गोबर है| गोबर की खाद तो मिलती नहीं है अतः खूब रासायनिक खादों और कीटनाशकों का प्रयोग हो रहा है जिससे केंसर की बीमारी बढ़ रही है| बहुत तेज़ी से गोवंश नष्ट हो रहा है| गोवंश के नष्ट होते ही भारत भी नष्ट हो जाएगा| अब न तो गौचर भूमियाँ बची हैं और न कुओं की खेळ जहाँ गायें पानी पीती थीं|
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यह सभ्यता विनाश की ओर जा रही है जिसे कोई नहीं रोक सकता| जो मनुष्यता गोमाता की इतनी क्रूरता से हत्या कर रही है वह अगर नष्ट भी हो जाए कोई फर्क नहीं पडता| कम से कम दूसरे प्राणी तो सुख चैन से रहेंगे| नई मनुष्यता निश्चित रूप से अच्छी होगी|
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ॐ ॐ ॐ ||
२९ जून २०१७

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