Monday, 20 January 2025

देवासुर-संग्राम हर युग में सदा से ही चलते आये हैं, और चलते रहेंगे ---

 देवासुर-संग्राम हर युग में सदा से ही चलते आये हैं, और चलते रहेंगे। वर्तमान में भी चल रहे हैं। हमें आवश्यकता है -- आत्म-साक्षात्कार, यानि भगवत्-प्राप्ति की। फिर जो कुछ भी करना है, वह स्वयं परमात्मा करेंगे। हम परमात्मा के उपकरण बनें, परमात्मा में स्वयं को विलीन कर दें। अब परमात्मा के बिना नहीं रह सकते, उन्हें इसी क्षण यहीं आना ही पड़ेगा।

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जो कुछ भी दिखाई दे रहा है, वह सब एक दिन अदृश्य हो जाएगा। वह प्रकाश ही सत्य है जो सभी दीपों में प्रकाशित है। स्वयं को जलाकर उस प्रकाश में वृद्धि करें, सारा अन्धकार एक रोग है जिस से मुक्त हुआ जा सकता है। वास्तव में हम प्रकाशों के प्रकाश -- ज्योतिषांज्योति हैं। ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१७ जनवरी २०२५

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