(प्रश्न) : भविष्य के लिए मेरा क्या दृष्टिकोण है?
(उत्तर) : कुछ विशेष नहीं, क्योंकि मैं वर्तमान में जीवित हूँ।
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सम्पूर्ण विश्व में लोगों की रुचि सत्य-सनातन-धर्म में बढ़ती जा रही है। सनातन धर्म का जो स्वरूप भारतवर्ष में प्रचलित है, उसे हिन्दुत्व कहते हैं। निकट भविष्य में सनातन धर्म का वैश्वीकरण हो जाएगा। मनुष्य की (कु) बुद्धि ने जितनी विचारधाराएँ और मतवाद खड़े किए हैं, वे सब ध्वस्त हो जाएँगे। मनुष्य की विचारधारा यही चिंतन करेगी की धर्म और अधर्म क्या है।
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मुझे प्रेरणा यही मिल रही ही कि अब से समस्त जीवन भगवान को समर्पित कर दूँ। किसी तरह की पृथकता का बोध न रहे। अब से मेरी कोई स्वतंत्र इच्छा नहीं है। सारा अवशिष्ट जीवन परमात्मा के ध्यान में कट जाएगा।
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सभी को मंगलमय शुभ कामनाएं। सभी का कल्याण हो।
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२ दिसंबर २०२३
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