बड़ी से बड़ी बात जो भगवान की परम कृपा से मैं लिख सकता हूँ, वह यह है कि -
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खुली आँखों से हमें जो कुछ भी दिखाई दे रहा है; और बंद आँखों के अंधकार के पीछे दिखाई दे रही पूरी प्रकाशमय अनंतता -- हम स्वयं हैं; यह नश्वर शरीर नहीं। जहाँ तक भी हमारी कल्पना जाती है, और जो कुछ भी दिखाई दे रहा है, वह सब परमात्मा है, और वही हम स्वयं हैं। हम में और परमात्मा में कोई भेद नहीं है। हम यह नश्वर देह नहीं, परमात्मा के साथ एक हैं।
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हर साँस के साथ, और जब साँस नहीं चल रही तब भी हम परमात्मा के साथ उन की ज्योतिर्मय अनंतता हैं। पूरा स्पष्ट मार्गदर्शन भगवान ने गीता में और उपनिषदों में दिया है। उनको अपना सर्वश्रेष्ठ परम प्रेम दो। वे अपनी परम कृपा कर के सब कुछ समझा देंगे।
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इससे बड़ी बात और कुछ नहीं हो सकती। सब पर भगवान की परम कृपा हो।
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१३ जनवरी २०२३
आदरणीय परम श्रद्धेय बन्धु श्री चरणों में सादर प्रणाम आपके द्वारा लिखित ब्लॉग का प्रथम बार अध्ययन किया काफी विचारोत्तेजक ब्लॉग है मन को भी काफी अच्छा लगा सन्तुष्टि भी प्राप्त हुई। बहुत-बहुत आभार धन्यवाद
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