मेरी पूर्ण हृदय से भगवान से प्रार्थना है कि भारत में सत्य-धर्मनिष्ठ क्षत्रिय राजाओं का धर्मपरायण राज्य पुनश्च स्थापित हो ---
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वर्तमान शासन व्यवस्था सनातन हिन्दू धर्म के विरुद्ध है। धर्मनिष्ठ क्षत्रिय राजाओं के राज्य में
(१) गोहत्या नहीं होती थी, गोसंवर्धन होता था। गोचर भूमियों पर किसी का अवैध अधिकार नहीं होता था, गायों के चरने के लिए भूमि छोड़ी जाती थी, जिनमें गायों के लिए चारे और पानी की व्यवस्था होती थी।
(२) हिन्दू मंदिरों की सरकारी लूट नहीं थी। बड़े बड़े मंदिरों के साथ -- पाठशाला, अन्नक्षेत्र, सदावर्त, गोशाला और यज्ञशाला होती थी। पाठशाला में निःशुल्क धार्मिक शिक्षा दी जाती थी। अन्नक्षेत्र में विद्यार्थियों को अन्नदान दिया जाता था। सदावर्त में विरक्त साधुओं को उनकी आवश्यकता का सामान दिया जाता था। गोशाला में गोसंवर्धन का कार्य होता था। यज्ञशाला में धार्मिक अनुष्ठान होते थे। हिन्दू मंदिरों की सरकारी लूट के साथ उपरोक्त सब बंद होगए।
(३) विद्वान तपस्वी संत-महात्माओं का संरक्षण होता था।
(४) सब को न्याय मिलता था। किसी के साथ अन्याय नहीं होता था।
(५) उच्च शिक्षा के लिए गुरुकुलों की व्यवस्था थी।
(६) वर्णाश्रम धर्म का पालन होता था।
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आलोचना करने वाले तो यों ही आलोचना करते रहेंगे। सबसे खराब कोई शासन प्रणाली, और सबसे अधिक खराब कोई सिद्धांत हो सकता है तो वह मार्क्सवाद है। यह मैं अपने अनुभव से कह रहा हूँ। मार्क्सवाद जब अपने चरम शिखर पर था, उस समय के सोवियत संघ, चीन, उत्तरी कोरिया, और रोमानिया में भ्रमण का व्यक्तिगत अनुभव है मुझे। विश्व में जहाँ जहाँ मार्क्सवादियों का प्रभाव था, वहाँ वहाँ विनाश ही विनाश हुआ है।
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सत्य-सनातन-धर्म की पुनःप्रतिष्ठा और वैश्वीकरण हो। भारत अपने द्विगुणित परम वैभव के साथ एक सत्यनिष्ठ धर्मावलम्बी राष्ट्र बने। असत्य का अंधकार दूर हो।
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१० जनवरी २०२३
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