पढ़ो कम, और ध्यान अधिक करो ---
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शास्त्रों के स्वाध्याय से हमें सिर्फ प्रेरणा और मार्गदर्शन ही मिल सकता है, वास्तविक आध्यात्मिक ज्ञान तो प्रत्यक्षानुभूति से ही मिल सकता है। प्रवचनों को सुनकर ज्ञान का आभास तो हो सकता है, लेकिन ज्ञान की प्राप्ति नहीं। ज्ञान की प्राप्ति के लिए सत्य का अनुभव स्वयं को ही करना होगा। मनोरंजन नहीं, मनोनिग्रह हो। इसलिए थोड़ी देर पढ़ो पर ध्यान अधिक करो। यदि एक घंटे पढ़ते हो तो आठ घंटे भगवान का ध्यान करो।
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जो इस मार्ग पर नए हैं, वे पहले खूब भक्ति के साथ खूब जप करें। जप करते करते भगवान की कृपा से समझ में आ जाएगा कि ध्यान कैसे करें। भगवान बड़े कृपालू हैं, वे कोई कोई न कोई व्यवस्था समझाने की कर देंगे। पर प्रयास तो स्वयं को ही करना पड़ेगा।
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आवश्यकता सिर्फ भक्ति और सत्यनिष्ठा की है। यदि भक्ति और सत्यनिष्ठा नहीं है तो आप एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाएंगे। आप सभी को मंगलमय शुभ कामना और सादर सप्रेम नमन !! ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
१ दिसंबर २०२१
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