Sunday 5 December 2021

गुरु चरणों में मिला आश्रय बना रहे ---

गुरु चरणों में मिला आश्रय बना रहे ---
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इस देह रूपी विमान के चालक स्वयं परमात्मा हैं, और यह विमान भी वे स्वयं ही हैं। उनसे पृथकता का बोध उनकी माया है। वे ही गुरु रूप ब्रह्म हैं। अपने ज्योतिर्मय चरण-कमलों के दर्शन वे मुझे सहस्त्रार-चक्र में देते हैं, और सदा ब्रह्मरंध्र पर ही ध्यान लगवाते हैं। इस देह से बाहर परमशिव की अनुभूतियाँ उन्हीं की कृपा से होती हैं। अच्छा-बुरा जो कुछ भी मैं हूँ, वह उनकी कृपा का ही फल है। वे ही परमशिव हैं, और वे ही वासुदेव भगवान नारायण हैं। उनकी कृपा ही मेरा अस्तित्व है। उनकी कृपा से ही मैं यह सब लिख पा रहा हूँ।
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मुझे और कुछ भी नहीं लिखना है, उन्हीं की इच्छा पूर्ण हो, और उन्हीं का अस्तित्व बना रहे। उनकी कृपा भी सभी प्राणियों पर बनी रहे। मुझे सदा अपने चरणों की सेवा में ही लगाए रखें। सभी प्राणियों में व सारी सृष्टि में वे ही व्याप्त हैं। उनके सिवाय अन्य कुछ भी नहीं है। वे ही सर्वस्व हैं। हरिः ॐ तत्सत्॥
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"ॐ वायुर्यमोऽग्निर्वरुणः शशाङ्क: प्रजापतिस्त्वं प्रपितामहश्च।
नमो नमस्तेऽस्तु सहस्रकृत्वः पुनश्च भूयोऽपि नमो नमस्ते ॥
नमः पुरस्तादथ पृष्ठतस्ते नमोऽस्तु ते सर्वत एव सर्व।
अनन्तवीर्यामितविक्रमस्त्वं सर्वं समाप्नोषि ततोऽसि सर्वः॥" (श्रीमद्भगवद्गीता)
कृपा शंकर

१ दिसंबर २०२१ 

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