अपने हृदय को पूछिये और हृदय जो भी कहता है वह कीजिये। हृदय कभी झूठ नहीं बोल सकता क्योंकि हृदय में भगवान का निवास है।
भगवान की भक्ति के लिए इधर-उधर भागदौड़ करने से कोई लाभ नहीं है। सब गुरुओं के गुरु भगवान श्रीकृष्ण हैं, उनसे बड़ा कोई गुरु नहीं है। हृदय में उनका ध्यान कीजिये और नित्य गीता पाठ कीजिये। गीता पाठ में यदि कठिनाई आती है तो नित्य नियमित रामचरितमानस का पाठ कीजिये। यदि वह भी नहीं होता है तो नित्य नियमित रूप से हनुमान चालीसा या द्वादशाक्षरी भागवत मंत्र का जप तो कर ही सकते हैं। वह भी नहीं होता तो निरंतर रामनाम का जप कीजिये। उससे अधिक सरल और प्रभावी साधन कोई दूसरा नहीं है।
सभी को शुभ कामनाएँ और नमन!
३० नोवेंबर २०२१
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