समस्याओं के सब बहाने झूठे हैं, हमारी कोई समस्या नहीं है ---
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सारी समस्याएँ परमात्मा की हैं। हमारी एकमात्र समस्या आत्म-साक्षात्कार यानि परमात्मा की प्राप्ति है। इसलिए आज्ञाचक्र पर या उससे ऊपर ध्यान रखते हुए परमात्मा का निरंतर स्मरण करें। गीता में भगवान कहते हैं --
"तस्मात्सर्वेषु कालेषु मामनुस्मर युध्य च।
मय्यर्पितमनोबुद्धिर्मामेवैष्यस्यसंशयम्॥८:७॥"
अर्थात् - "इसलिए, तुम सब काल में मेरा निरन्तर स्मरण करो; और युद्ध करो मुझमें अर्पण किये मन, बुद्धि से युक्त हुए निःसन्देह तुम मुझे ही प्राप्त होओगे॥"
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कूटस्थ-चैतन्य में निरंतर स्थिति सब समस्याओं का समाधान है. ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
१८ अगस्त २०२१
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