हरेक घर का वातावरण भयमुक्त और प्रेममय हो| घर के बच्चों में इतना साहस विकसित करें कि वे अपनी कोई भी समस्या या कोई भी उलझन बिना किसी भय और झिझक के अपने माता/पिता व अन्य सम्बन्धियों को बता सकें| बच्चों की समस्याओं को ध्यान से सुनें, उन्हें डांटें नहीं, उनके प्रश्नों का उसी समय तुरंत उत्तर दें| इससे बच्चे भी माँ-बाप व बड़े-बूढों का सम्मान करेंगे| हम अपने बालकों की उपेक्षा करते हैं, उन्हें डराते-धमकाते हैं, इसीलिए बच्चे बड़े होकर माँ-बाप का सम्मान नहीं करते|
परिवार के सभी सदस्य दिन में कम से कम एक बार साथ साथ बैठकर पूजा-पाठ/ ध्यान आदि करें, और कम से कम दिन में एक बार साथ साथ बैठकर प्रेम से भोजन करें| इस से परिवार में एकता बनी रहेगी| बच्चों में परमात्मा के प्रति प्रेम विकसित करें, उन्हें प्रचूर मात्रा में सद बाल साहित्य उपलब्ध करवाएँ और उनकी संगती पर निगाह रखें| माँ-बाप स्वयं अपना सर्वश्रेष्ठ सदाचारी आचरण का आदर्श अपने बच्चों के समक्ष रखें| इस से बच्चे बड़े होकर हमारे से दूर नहीं भागेंगे| लड़कियाँ भी घर-परिवार से भागकर लव ज़िहाद का शिकार नहीं होंगी|
ॐ तत्सत्।
कृपा शंकर
२० अगस्त २०२०
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