Saturday 6 July 2019

एक बहुत पुरानी स्मृति .....

एक बहुत पुरानी स्मृति .....
.
पूर्व सोवियत संघ के वे ५ गणराज्य जो मध्य एशिया में हैं, और जहाँ सुन्नी इस्लाम का पूरा प्रभाव था .... काज़ाख़स्तान, किरगिज़स्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़बेकिस्तान, ..... व वर्तमान रूस में ही स्थित एक छोटा सा अर्ध-स्वशासित गणराज्य तातारस्तान ..... वहाँ के लोगों में मैनें यह पाया है कि उन में भारत के बारे में जानने की बहुत अधिक जिज्ञासा है| ५२ वर्ष पूर्व मैनें रूसी भाषा जिस अध्यापिका से सीखी थी वह एक तातार सुन्नी मुसलमान महिला थी जो बाद में कम्युनिष्ट हो गयी| बहुत ही दयालू और अच्छे स्वभाव की महिला थी जिसने जी-जान लगाकर पूर्ण मनोयोग से मुझे ही नहीं, अनेक भारतीयों को रूसी भाषा सिखाई| मेरा रूस व युक्रेन में कई तातार मुसलमान परिवारों से व मध्य एशिया के कई लोगों से मिलना हुआ है| वहाँ की कई लड़कियाँ हिंदी और भारतीय नृत्य भी सीखती हैं| उस क्षेत्र के अधिकाँश लोग सुन्नी मुसलमान हैं जिनकी रूचि अब अपने मत से लगभग समाप्त ही होती जा रही है| वहाँ की भाषा तुर्क भाषा से मिलती जुलती है पर सभी को रूसी आती है| तातारस्तान की राजधानी का नाम काज़ान है जो वोल्गा और काज़ानका नदियों के संगम पर स्थित है| रूस में दो-तीन और भी मुस्लिम बहुल क्षेत्र हैं जिनके बारे में मुझे अधिक जानकारी नहीं है|
.
भारत में आक्रमणकारी लुटेरा बाबर उज्बेकिस्तान से आया था| उज्बेकिस्तान के कई प्रसिद्ध नगर .... बुखारा, समरकंद, व ताशकंद .... भारत के मुग़ल काल में भारत में लूटे हुए धन से बहुत अधिक समृद्ध हो गए थे|
.
युक्रेन के ओडेसा नगर में मुझे एक बार एक अति विदुषी तातार मुस्लिम बृद्धा महिला ने अपने घर पर निमंत्रित किया| वे वास्तव में बड़ी विदुषी थीं| कई भाषाओं पर उनका जबरदस्त अधिकार था| वे एक राजनीतिक बंदी के रूप में चीन की जेलों में दस वर्षों तक रह चुकी थीं| उन्होंने मुझ से भारत के बारे में, और हिन्दू धर्म के बारे में अनेक प्रश्न पूछे| जितना मैं बता सकता था उतना उन्हें बताया| उनकी इच्छा ज्योतिष के बारे में भी जानने को थी पर ज्योतिष का मुझे कोई ज्ञान नहीं था| उन्होंने मुझे बताया कि पूरे मध्य एशिया में इस्लाम से पूर्व बौद्ध धर्म था| बौद्ध धर्म मध्य एशिया से भी परे तक था| बाद में मुसलमानों ने उस क्षेत्र को जीतकर सबको मुसलमान बना दिया|
.
बाद में कभी उस क्षेत्र में जाने का काम नहीं पड़ा| अब तो कहीं जाने की इच्छा ही समाप्त हो गयी है|

No comments:

Post a Comment