गुरुकृपा है या नहीं, इसका क्या मापदंड है? हम कहते हैं ... गुरुकृपा ही केवलम् | पर इसका कैसे पता चले कि हम पर गुरुकृपा है या नहीं? मेरी तो मान्यता है कि यदि गुरु के उपदेश / वेद-वाक्यों के अनुसार हमारा आचरण है तभी हमारे ऊपर गुरु कृपा है, अन्यथा नहीं| यदि हमारा आचरण ही गुरु के उपदेशों के विपरीत है, वेद-वाक्यों को हम अपने जीवन में नहीं उतार पा रहे हैं, तो हम पर कोई गुरु-कृपा नहीं है| यदि गुरु के उपदेश वेद-विरुद्ध है तो वह गुरु भी त्याज्य है|
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पूजा तो गुरु-पादुका की होती है, गुरु के देह की नहीं| गुरु तो तत्व है देह नहीं| मेरा तो यह मानना है कि गुरु का स्वयं में विलय ही गुरु-पूजा है| गुरु के देह की पूजा तो गुरु की ह्त्या के बराबर है| यदि गुरु में कोई दोष है, तो उसका फल वह स्वयं भुगतेगा, हम इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं| हमारा समर्पण तो गुरु के वेदानुकूल वचनों/उपदेशों के प्रति है, उस की देह के प्रति नहीं| हमारा समर्पण ही हमें इस संसार-सागर / माया-मोह से पार करेगा, गुरु नहीं|
१८ मार्च २०१९
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पूजा तो गुरु-पादुका की होती है, गुरु के देह की नहीं| गुरु तो तत्व है देह नहीं| मेरा तो यह मानना है कि गुरु का स्वयं में विलय ही गुरु-पूजा है| गुरु के देह की पूजा तो गुरु की ह्त्या के बराबर है| यदि गुरु में कोई दोष है, तो उसका फल वह स्वयं भुगतेगा, हम इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं| हमारा समर्पण तो गुरु के वेदानुकूल वचनों/उपदेशों के प्रति है, उस की देह के प्रति नहीं| हमारा समर्पण ही हमें इस संसार-सागर / माया-मोह से पार करेगा, गुरु नहीं|
१८ मार्च २०१९
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