Tuesday 19 March 2019

सब कुछ तो गीता और उपनिषदों में पहले से ही लिखा है ....

जब मैं कुछ भी लिखता हूँ तब लगता है कि वह सब कुछ तो गीता में और उपनिषदों में पहले ही विस्तार से लिखा है| जिसमें भी जिज्ञासा होगी वह गीता का स्वाध्याय करेगा| रामचरितमानस में भी धर्म के तत्वों को बहुत ही सरल भाषा में समझाया गया है, जिसे कोई भी समझ सकता है| एक और विवादित बात मैं कहना चाहता हूँ कि वेदों का जितना महत्त्व है उतना ही महत्व पुराणों का भी है| वेदों के रहस्यों को ही पुराणों में दृष्टान्तों के माध्यम से समझाया गया है| कुछ दिनों पूर्व प्रख्यात वैदिक विद्वान् श्री अरुण उपाध्याय जी से उनके घर पर भुवनेश्वर में भेंट हुई थी| उनकी भी यही मान्यता है कि इस युग में वेदों के बिना पुराण नहीं है और पुराणों के बिना वेद नहीं हैं|
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गीता के स्वाध्याय का सही तरीका यह है कि पहले तो मूल श्लोक को संस्कृत में पढ़ें, फिर उसका हिंदी अनुवाद ठीक से समझ कर पढ़ें| फिर भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान करें और उनसे समझाने की प्रार्थना करें| एक बार और उसे इसी तरह पढ़ें| फिर भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से जो भी अर्थ समझ में आये उसे स्वीकार कर लें| सब पर भगवान श्रीकृष्ण की कृपा हो|
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"वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम् | देवकीपरमानन्दं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् (१)
आतसीपुष्पसंकाशम् हारनूपुरशोभितम् रत्नकण्कणकेयूरं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् (२)
कुटिलालकसंयुक्तं पूर्णचंद्रनिभाननम् विलसत्कुण्डलधरं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् (३)
मंदारगन्धसंयुक्तं चारुहासं चतुर्भुजम् बर्हिपिञ्छावचूडाङ्गं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् (४)
उत्फुल्लपद्मपत्राक्षं नीलजीमूतसन्निभम् यादवानां शिरोरत्नं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् (५)
रुक्मिणीकेळिसंयुक्तं पीतांबरसुशोभितम् अवाप्ततुलसीगन्धं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् (६)
गोपिकानां कुचद्वन्द्व कुंकुमाङ्कितवक्षसम् श्री निकेतं महेष्वासं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् (७)
श्रीवत्साङ्कं महोरस्कं वनमालाविराजितम् शङ्खचक्रधरं देवं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् (८)
कृष्णाष्टकमिदं पुण्यं प्रातरुत्थाय यः पठेत् | कोटिजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनष्यति||
|| इति कृष्णाष्टकम् ||
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१३ मार्च २०१९

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