ह्रदय में सच्चा प्रेम होने पर कोई नियम बाधक नहीं होता .....
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जब भी किसी को भगवान को पाने की अभीप्सा होती है तब भगवान निश्चित रूप से किसी न किसी माध्यम से उस का मार्गदर्शन और सहायता करते हैं| कोई आवश्यक नहीं है कि प्रत्यक्ष रूप से किसी देहधारी महात्मा के माध्यम से ही कोई साधक मार्गदर्शन प्राप्त करे, सूक्ष्म जगत के किसी देवता, महात्मा या गहन प्रेरणा द्वारा भी भगवान मार्गदर्शन कर सकते हैं| कुछ बातें मुझे लिखने की अनुमति नहीं है, पर सूक्ष्म जगत की आत्माओं द्वारा भगवान की प्रेरणा से साधकों को सहायता व मार्गदर्शन मिलता है, इसकी मुझे अनुभूतियाँ हैं| योगमार्ग के आचार्यों ने कूटस्थ को गुरु माना है जो साक्षात नारायण है| गुरु परम्पराओं का मैं पूर्ण सम्मान करता हूँ पर सबसे बड़े गुरु तो भगवान स्वयं हैं| वे किसी भी परम्परा से परे हैं|
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जब भी किसी को भगवान को पाने की अभीप्सा होती है तब भगवान निश्चित रूप से किसी न किसी माध्यम से उस का मार्गदर्शन और सहायता करते हैं| कोई आवश्यक नहीं है कि प्रत्यक्ष रूप से किसी देहधारी महात्मा के माध्यम से ही कोई साधक मार्गदर्शन प्राप्त करे, सूक्ष्म जगत के किसी देवता, महात्मा या गहन प्रेरणा द्वारा भी भगवान मार्गदर्शन कर सकते हैं| कुछ बातें मुझे लिखने की अनुमति नहीं है, पर सूक्ष्म जगत की आत्माओं द्वारा भगवान की प्रेरणा से साधकों को सहायता व मार्गदर्शन मिलता है, इसकी मुझे अनुभूतियाँ हैं| योगमार्ग के आचार्यों ने कूटस्थ को गुरु माना है जो साक्षात नारायण है| गुरु परम्पराओं का मैं पूर्ण सम्मान करता हूँ पर सबसे बड़े गुरु तो भगवान स्वयं हैं| वे किसी भी परम्परा से परे हैं|
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सच्चे गुरु दुर्लभ नहीं हैं पर वे किसी को भी उसकी पात्रता होने पर ही
मिलते हैं| प्रकृति के अपने मापदंड हैं, अपने नियम हैं| सृष्टि अपने नियमों
से चलती है पर भगवान सब नियमों से परे हैं, उन्हें हम किसी नियम में नहीं
बाँध सकते| ह्रदय में सच्चा प्रेम होने पर कोई नियम बाधक नहीं होता|
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ! ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१४ नवम्बर २०१८
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ! ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१४ नवम्बर २०१८
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