Wednesday 14 November 2018

वासुदेवः सर्वम् इति .....

वासुदेवः सर्वम् इति .....
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सभी संत-महात्माओं की बात सादर स्वीकार्य है पर भगवान श्रीकृष्ण ने जो कह दिया वह अंतिम प्रमाण है| उससे आगे और कहीं कोई कुछ भी स्वीकार्य नहीं है|
श्रीभगवान कहते हैं .....
बहूनां जन्मनामन्ते ज्ञानवान्मां प्रपद्यते| वासुदेवः सर्वमिति स महात्मा सुदुर्लभः||७:१९||
अर्थात ..... बहुत जन्मों के अन्त के जन्म में तत्त्वज्ञान को प्राप्त हुआ ज्ञानी सब कुछ वासुदेव ही है- इस प्रकार मुझे भजता है, वह महात्मा अति दुर्लभ है|
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गुरुकृपा से अब यह कुछ कुछ समझ में आ रहा है| पिछले ३९ वर्षों से मुझे लगातार यही "वासुदेवः सर्वम् इति" का एक ही पाठ पढ़ाया जा रहा है जिसे समझने में बुद्धि अब कुछ कुछ समर्थ हुई है|
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हीन भावना व अपराध बोध से मुक्ति भी गीता के ज्ञान से मिल जाती है| संसार सागर से तरने का उपाय भी गीता में ही मिल जाता है| सब तरह के भय, कायरता और बुराइयों से मुक्ति का उपाय भी गीता से मिल जाता है| गीता भारत का प्राण है|
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इस देह के अंत समय में भी चेतना में गीता के भगवान वासुदेव श्रीकृष्ण ही रहें| और कुछ भी अभिलाषा नहीं है| ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१४ नवम्बर २०१८

1 comment:

  1. "वसुदेवसुतं देवं कंस चाणूर मर्दनं | देवकी-परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् ||

    "वंशी विभूषित करान नव नीरदाभात पीताम्बरा अरुण बिम्ब फलाधरोष्टात |
    पूर्णेंदु सुंदर मुखार अरविन्द नेत्रात कृष्णात परम किमअपि तत्वमहम न जाने ||"

    "कस्तुरी तिलकं ललाटपटले, वक्षस्थले कौस्तुभं,
    नासाग्रे वरमौक्तिकं करतले, वेणु करे कंकणम् |
    सर्वांगे हरिचन्दनम सुललितम, कंठे च मुक्तावलि,
    गोपस्त्री परिवेश्टितो विजयते, गोपाल चूडामणी ||"

    "कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने | प्रणत क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः ||"

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