Sunday, 10 June 2018

मेरे प्राण भगवान परम शिव हैं .....

मेरे प्राण भगवान परम शिव हैं| वे ही सभी जड़, चेतन, व प्राणियों की देहों में प्राण रूप में गतिशील हैं| सारी सृष्टि के वे प्राण हैं| आकाश तत्व भी वे ही हैं| एकमात्र अस्तित्व उन्हीं का है| उनके सिवा अन्य सब मिथ्या है|

इस सूक्ष्म देह की सुषुम्ना नाड़ी में मूलाधार चक्र से सहस्त्रार तक एक ध्यान लिंग है| वह ध्यान लिंग ही मेरा साधना स्थल है| इस ध्यान लिंग के भीतर ही प्राण रूप में मेरे इष्ट देव सभी सातों चक्रों की परिक्रमा करते रहते हैं| इसी से यह देह जीवंत है|

कूटस्थ में इस ध्यान लिंग से ऊपर अनंताकाश है, जिससे भी परे एक विराट श्वेत ज्योतिषांज्योति से आलोकित क्षीर सागर है जहाँ भगवान नारायण का निवास है| वे भगवान नारायण ही पंचमुखी महादेव हैं| उनका प्रबल आकर्षण ही साधना पथ पर भटकने नहीं देता| भटक जाते हैं तो उनकी कृपा बापस सही मार्ग पर ले आती है| वे ही परम शिव हैं, वे ही परात्पर गुरु हैं, और वे ही मेरे परम उपास्य देव और जीवन के उद्देश्य हैं| 

ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
४ जून २०१८

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