भावनात्मक जुड़ाव क्या एक बंधन है ? .....
किसी भी वस्तु या व्यक्ति से भावनात्मक जुड़ाव को ही हम "मोह" या "राग" कह सकते हैं| भावनात्मक जुड़ाव को भी एक बंधन बताया गया है| यदि यह एक बंधन है तो इसे तोड़ना सांसारिक व्यक्ति के लिए तो असम्भव है|
वास्तविक "निर्मोही" या "वैरागी" होना एक बहुत ही उच्च स्तर की बात है| यह उसी के लिए संभव है जो एक अवधूत परमहंस अवस्था में पहुँच चुका हो| इसके लिए तो बहुत अधिक आध्यात्मिक साधना करनी होती है| संकल्प मात्र से इस बंधन से मुक्त होना असंभव है| सब तरह की कामनाओं का त्याग करना होता है|
किसी भी वस्तु या व्यक्ति से भावनात्मक जुड़ाव को ही हम "मोह" या "राग" कह सकते हैं| भावनात्मक जुड़ाव को भी एक बंधन बताया गया है| यदि यह एक बंधन है तो इसे तोड़ना सांसारिक व्यक्ति के लिए तो असम्भव है|
वास्तविक "निर्मोही" या "वैरागी" होना एक बहुत ही उच्च स्तर की बात है| यह उसी के लिए संभव है जो एक अवधूत परमहंस अवस्था में पहुँच चुका हो| इसके लिए तो बहुत अधिक आध्यात्मिक साधना करनी होती है| संकल्प मात्र से इस बंधन से मुक्त होना असंभव है| सब तरह की कामनाओं का त्याग करना होता है|
अपने नाम के साथ कुछ भी लिखना या स्वयं को कुछ भी घोषित करना एक धोखा भी
हो सकता है यदि हमारा आचरण वैसा न हो| किसी की बड़ी बड़ी बातें सुनकर, किसी
का नाम देखकर या किसी का आवरण देखकर ही हमें प्रभावित नहीं होना चाहिए|
आवरण नहीं, आचरण से हम मनुष्य को पहिचानें, नहीं तो धोखा ही धोखा है|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
४ जून २०१८
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
४ जून २०१८
No comments:
Post a Comment