Saturday 30 June 2018

भारतवर्ष को संस्कृत भाषा और ब्राह्मणों की संस्था ने जीवित रखा .....

भारतवर्ष को संस्कृत भाषा और ब्राह्मणों की संस्था ने जीवित रखा .....
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भारतवर्ष को शक्ति मिलती थी ..... संस्कृत भाषा से और ब्राह्मणों की संस्था से| ये नष्ट हो जायेंगी तो भारत ही नष्ट हो जाएगा, संस्कृत भाषा और ब्राह्मणों की संस्था .... दोनों ही नष्ट हो रही हैं तो भारत भी नष्ट हो रहा है| वर्त्तमान धर्मनिरपेक्ष शिक्षा पद्धति, विदेशी प्रभाव और मार्क्सवादी समाजवाद भारत को नष्ट कर रहा है| यह मेरी ही नहीं, सभी निष्ठावान व समझदार भारतीयों की पीड़ा है|
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भारत के वर्तमान समाज को देखते हैं तो निराशा ही निराशा मिलती है| भारत में आजकल का सबसे बड़ा व्यवसाय तो है भ्रष्ट राजनीति, दूसरा सबसे बड़ा व्यवसाय है मनचाहा स्थानान्तरण व नियुक्तियाँ करवाने का धंधा, फिर घूसखोरी, कर चोरी, बिजली व पानी की चोरी, और ठगी| समाज में हम जिनको आदर्श कह सकें ऐसे व्यक्ति नगण्य हैं| उनके अतिरिक्त कुछ भी आदर्श नहीं है समाज में| ऐसी सभ्यता नष्ट भी हो जाए तो मुझे कोई अफसोस नहीं होगा|
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मैं स्वयं को भाग्यशाली मानता हूँ कि मेरा संपर्क ऐसे अनेक व्यक्तियों से हैं जिनका जीवन धर्ममय और आध्यात्मिक हैं| परमात्मा से प्रेम और आस्था व विश्वास ने ही सदा मेरी रक्षा की है| यह आस्था और विश्वास ही सदा रक्षा करेंगे| मेरा यह मानना है कि परमात्मा के सहारे से ही प्रकृति के बंधनों से छुटकारा पा सकते हैं| गीता में भगवान कहते हैं .....
"ईश्वरः सर्वभूतानां हृद्देशेऽर्जुन तिष्ठति| भ्रामयन्सर्वभूतानि यन्त्रारूढानि मायया||१८:६१||
जब सबको चलाने वाला परमात्मा ही है तो रक्षा भी वो ही करेगा|
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भारतवर्ष व सनातन धर्म की भगवान रक्षा करें, इस प्रार्थना के अतिरिक्त और कुछ कर भी नहीं सकते| ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
३० जून २०१८

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