इन्द्रिय सुखों की व अहंकार की कामना पूर्ती का हर प्रयास एक धोखा है|
हमारा मन सदा इन्द्रीय सुखों व अहंकार की कामना पूर्ती का प्रयास करता है,
इससे तृष्णा ही बढती है| स्वादिष्ट भोजन करते करते हमारा सारा जीवन बीत गया
पर स्वादिष्ट भोजन की भूख अभी तक मिटी ही नहीं है| मनुष्य का शरीर बूढा और
अशक्त हो जाता है, पर वासनाओं का अंत कभी नहीं होता| इस दुश्चक्र से
मुक्ति का एक ही उपाय है, और वह है कामनाओं से मुक्ति| एक ऐसी भी कामना भी
है जिसमें अन्य सब कामनाओं का अंत हो जाता है, वह है भगवान के लिए अभीप्सा और परमप्रेम|
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मुक्ति के विषय पर कठोपनिषद में खूब लिखा है| उसका गहन स्वाध्याय सभी को खूब करना चाहिए| श्रुति भगवती स्पष्ट आदेश देती है जीव को सारी कामनाओं से मुक्त होने की| वेदों का वाक्य ही प्रमाण है, अतः इस विषय पर आगे कुछ भी लिखना मेरे लिए अनुचित होगा| उपनिषदों व गीता का स्वाध्याय स्वयं करें वैसे ही जैसे भूख लगने पर भोजन स्वयं करते हैं| दूसरों के भोजन से हमारी भूख नहीं मिटती|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२७ जून २०१८
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मुक्ति के विषय पर कठोपनिषद में खूब लिखा है| उसका गहन स्वाध्याय सभी को खूब करना चाहिए| श्रुति भगवती स्पष्ट आदेश देती है जीव को सारी कामनाओं से मुक्त होने की| वेदों का वाक्य ही प्रमाण है, अतः इस विषय पर आगे कुछ भी लिखना मेरे लिए अनुचित होगा| उपनिषदों व गीता का स्वाध्याय स्वयं करें वैसे ही जैसे भूख लगने पर भोजन स्वयं करते हैं| दूसरों के भोजन से हमारी भूख नहीं मिटती|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२७ जून २०१८
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