Friday 14 April 2017

जल का संकट .....

वर्त्तमान में तीन ऐसे संकट हैं जिन से मुक्ति पाने में वर्त्तमान सभ्यता को बहुत अधिक प्रयास करना होगा .........
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(१) विश्व में सबसे बड़ा संकट यानि खतरा इस समय है "इस्लामी आतंकवाद" का| समय रहते इस समस्या का निदान नहीं किया गया तो यह आतंकवाद पूरे विश्व को नष्ट कर देगा|

(२) दूसरा सबसे बड़ा संकट है कचरे के निस्तारण का| इतना अधिक कचरा इकट्ठा हो रहा है जिस से पर्यावरण बुरी तरह प्रभावित हो रहा है| भौतिक कचरे के साथ साथ वैचारिक कचरा भी इकट्ठा हो रहा है|

(३) तीसरा सबसे बड़ा संकट जो आ रहा है वह है पीने योग्य जल की कमी का| इस लेख में उसी की चर्चा की गयी है|
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जल का संकट .....
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पूरा भारत पानी के अभाव से जूझ रहा है| हर दिन हालत बिगड़ रहे हैं| पानी की उपयोगिता और खर्च दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है| यह निकट भविष्य की सबसे बड़ी समस्या बनकर उभर रही है|
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मेरा एक सुझाव है कि सरकारी कार्यालयों, मंत्रियों, अधिकारियों व कर्मचारियों के निवासों, और व्यक्तिगत निवासों पर लॉन लगाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया जाये| इससे पानी की बर्बादी रुक जायेगी|
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जिन लोगों ने अपने घरों में लॉन यानि दूब के बगीचे लगा रखे हैं, उन्हें दूब के स्थान पर सब्जियाँ उगानी चाहियें|
सब्जी का उपयोग स्वयं कीजिये और औरों को भी दीजिये| समाज का भला होगा|
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कृपया इस सन्देश को यथासंभव खूब फैलाएं | धन्यवाद|

1 comment:

  1. हमारे देश में आबादी लगातार बढ़ती रही और इस कारण उधोग व कृषि भूमि भी बढ़ते रहे लेकिन इसके अनुपात में जल संग्रहण क्षमता नहीं बढ़ पायी ना ही आज तक जल संग्रहण के लिये कोई ठोस नीति ही बन पायी है. आज ना कृषि, ना उधोग ना पीने के लिये पानी है. आने वाले समय में स्थिती और भयानक होने वाली है. जब हम छोटे थे तब ट्यूबवेल हेंडपंप की जरुरत ही नही पड़ती थी. कुयें के पानी से ही सारी पूर्ति हो जाती थी. लेकिन धीरे धीरे आबादी बढ़ती रही और जल संरचनायें कम होती गई. तालाब पाट कर बिल्डिंग बन गई. ना नये तालाब बने ना बांध बने. जनता के सेवक वोटों के लिये देश को बरबाद करते रहे. जमीन के लिये बेतहाशा जंगल काटे गये जिससे वर्षा अनियमित हो गई. यही क्रम आज भी चल रहा है. देखते हैं वर्तमान और आने वाली सरकारें इस दिशा में कदम उठाती है या ???? हमारी आने वाली पीढ़ी को प्यासा मरने के लिये छोड़ देती है.
    लेकिन यह तो तय है अगर हमने तालाबों बांधों की संख्या नहीं बढ़ाये और जंगलों का विस्तार नही किये तो हम किसी कीमत पर पानी की पूर्ति नही कर पायेंगे.

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