Monday 27 February 2017

क्या "ऊपरी बाधा" नाम की कोई चीज होती है ? ....

क्या "ऊपरी बाधा" नाम की कोई चीज होती है ? ....
क्या ये हमारे जीवन पर प्रभाव डालती है ? ........
.
मैंने जीवन में आज तक यही देखा है कि समस्याओं से मुक्त जीवन तो किसी का भी नहीं है| विशेषकर जो लोग आध्यात्मिक मार्ग पर चलना चाहते हैं उनको तो सांसारिक जीवन में कुछ अधिक ही कष्ट झेलने पड़ते हैं| प्रकृति की आसुरी शक्तियां उन्हें बहुत अधिक परेशान करती हैं|
यह प्रकृति का नियम ही है या निज कर्मों का फल? कुछ समझ में नहीं आया है|
.
यह संसार हमें तमाम तरह की सुख सुविधाओं का आश्वासन देता है पर सारी सांसारिक अपेक्षाएँ सदा निराशा व दुःख ही देती हैं|
कुछ भले लोग जिन्होनें कभी किसी को परेशान नहीं किया, उनके परिवार का कोई न कोई सदस्य आसुरी शक्तियों का उपकरण बन कर परिवार के अन्य सदस्यों को बहुत अधिक कष्ट देता है| ऐसे लोग दुखी होकर परेशानी से बचने के लिए तांत्रिकों, मौलवियों और ज्योतिषियों के पास जाते हैं, जहाँ ठगे जाते हैं पर उनकी परेशानी फिर भी कम नहीं होती|
.
मुझे तो लगता है कि आसुरी शक्तियाँ प्रकृति में सर्वत्र हैं, विशेष रूप से अपवित्र स्थानों पर, जहाँ से जब कोई गुजरता है तब वह इनसे अवश्य प्रभावित होता है| पर हमारा मन भी एक अपवित्र स्थान बन गया है जहाँ कोई न कोई असुर आकर बैठ गया है और हमारे ऊपर राज्य कर रहा है| आजकल आसुरी भाव समाज में कुछ अधिक ही व्याप्त है| लगता है अधिकांश समाज ही प्रेतबाधा से ग्रस्त है|
.
भगवान की विशेष कृपा ही हमें इन आसुरी शक्तियों से बचा सकती हैं|
कई बार हम ऐसी भयानक भूलें कर बैठते हैं फिर स्वयं को विश्वास नहीं होता कि ऐसा तो हम कर ही नहीं सकते थे, फिर यह कैसे हुआ?
कई बार प्राकृतिक आपदाओं में या ऐसे अपने आप ही हम लोग उन्मादग्रस्त होकर एक दूसरे को लूटने व मारने लगते हैं, जैसा कि अभी हरियाणा में हुआ, जहाँ लगभग अधिकाँश समाज ही आसुरी शक्तियों का शिकार हो गया था| दुनियाँ में इतने युद्ध, लड़ाई-झगड़ें और लूटपाट ये सब इन आसुरी शक्तियों के ही खेल हैं|
.
शराब पीने, मांस खाने, जूआ खेलने वाले, पराये धन और परस्त्री/पुरुष कि अभिलाषा करने वाले तामसिक विचारों के लोग शीघ्र ही सूक्ष्म जगत के असुरों के शिकार बन जाते हैं| आजकल उन्हीं का शासन विश्व पर चल रहा है|
.
फिर इनसे बचा कैसे जाए? एकमात्र उपाय है .... हम निरंतर परमात्मा का स्मरण करें, वे ही हमारी रक्षा कर सकते हैं| अन्य कोई उपाय नहीं है|

ॐ शिव शिव शिव शिव शिव !
कृपाशंकर
फाल्गुन कृष्ण ६, वि..स.२०७२, 28फरवरी2016

No comments:

Post a Comment