Thursday, 9 February 2017

सम्पूर्ण ब्रह्मांड अपना घर है और समस्त सृष्टि अपना परिवार .....

सम्पूर्ण ब्रह्मांड अपना घर है और समस्त सृष्टि अपना परिवार .....
.
जब हम साँस लेते हैं तो सारी सृष्टि साँस लेती है| हमारा अस्तित्व ही समस्त सृष्टि का अस्तित्व है| हमारा केंद्र सर्वत्र है, परिधि कहीं भी नहीं| जिसका भी ऊर्ध्वमुखी भाव है, जिसमे भी परमात्मा के प्रति अहैतुकी परम प्रेम है व उसे पाने की अभीप्सा है वही धार्मिक है| सही अर्थों में वही एक सच्चा भारतीय है| ऐसे लोगो का समूह ही अखंड भारत है| ईश्वर ने यही भाव सम्पूर्ण सृष्टि में फैलाने के लिए भारतवर्ष को चुना है| अतः सनातन धर्म ही भारत है और भारत ही सनातन धर्म है| सनातन धर्म का विस्तार ही भारत का विस्तार है, और भारत का विस्तार ही सनातन धर्म का विस्तार है| भारत एक भू-खंड नहीं अपितु साक्षात माता है|
.
भारत माँ अपने द्विगुणित परम वैभव के साथ अखण्डता के सिंहासन पर विराजमान हो, यह हमारी आध्यात्मिक साधना है|
.
धर्म एक ऊर्ध्वमुखी भाव है जो हमें परमात्मा से संयुक्त करता है| "यथो अभ्युदय निःश्रेयस् सिद्धि स धर्म"| जिससे अभ्युदय और निःश्रेयस् की सिद्धि हो वही धर्म है| धर्म की यह परिभाषा कणाद ऋषि ने वैशेषिकसूत्रः में की है जो हिंदू धर्म के षड्दर्शनों में से एक है| जिससे हमारा सम्पूर्ण सर्वोच्च विकास और सब तरह के दुःखों/कष्टों से मुक्ति हो वही धर्म है| यह धर्म की हिंदू परिभाषा है| यही वास्तविकता है|

ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||

No comments:

Post a Comment