Friday 13 January 2017

लोहिड़ी / मकर संक्रान्ति / पोंगल की शुभ कामनाएँ ....

लोहिड़ी / मकर संक्रांति / पोंगल की शुभ कामनाएँ .....
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हमारा जीवन उत्तरायण बने, हम धर्मपरायण बनें और हमारे आदर्श भगवान श्रीराम बनें| मकर संक्रांति/पोंगल/लोहड़ी पर सभी को शुभ कामनाएँ| जय श्री राम !
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अपनी व्यक्तिगत साधना/उपासना में आज से एक नए संकल्प और नई ऊर्जा के साथ गहनता लायें | उपासना एक मानसिक क्रिया है| इस क्रिया में और अधिक गहनता लाने के लिए .....
> रात्रि को सोने से पूर्व भगवान का ध्यान कर के निश्चिन्त होकर जगन्माता की गोद में सो जाएँ|
> दिन का आरम्भ परमात्मा के प्रेम रूप पर ध्यान से करें|
>पूरे दिन परमात्मा की स्मृति रखें| यदि भूल जाएँ तो याद आते ही पुनश्चः स्मरण करते रहें|
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आज का एक विशेष विचार >>>
ज्ञान संकलिनी तन्त्र के अनुसार इड़ा भगवती गंगा है, पिंगला यमुना नदी है और उनके मध्य में सुषुम्ना सरस्वती है| इस त्रिवेणी का संगम तीर्थराज है जहां स्नान करने से सर्व पापों से मुक्ति मिलती है|
> वह तीर्थराज त्रिवेणी प्रयाग का संगम कहाँ है ?
> >> वह स्थान ... तीर्थराज त्रिवेणी का संगम आपके भ्रूमध्य में है|
अपनी चेतना को भ्रूमध्य में और उससे ऊपर रखना ही त्रिवेणी संगम में स्नान करना है|
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ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
जय भारत, जय वैदिक संस्कृति ....

1 comment:

  1. हमारा जीवन उत्तरायण हो व हम धर्मपरायण हों .....
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    उत्तरा के गर्भ में परीक्षित की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण आये थे अतः भगवान श्रीकृष्ण भी उत्तरायण हैं, वे हमारे जीवन में आयें| उत्तरायण का एक अर्थ यह भी बनता है .... उत्तरा जिसका अयन यानि घर हो|
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    आज प्रभु से प्रार्थना है कि हमारा हर संकल्प शिव-संकल्प हो, और हर विचार सर्वश्रेष्ठ हो| हे प्रभु, हे जगदीश, मैं निराश्रय हूँ, मेरी रक्षा करो| हे मुरारी, हे गोविन्द, हे गोपाल, हे पापतापहारी, हे मुकुंद, हे माधव, हे नारायण, हे कृष्ण, हे विष्णु, हे शिव, हे राम, मैं आपकी शरणागत हूँ| आप ही मेरे परम आश्रय हैं| मेरा और कोई नहीं है| मेरी सदा निरंतर रक्षा करो| आपकी जय हो| मेरे मन में किसी भी परिस्थिति में कोई बुरा विचार न आये| आप ही मेरे बिखरे हुए विचारों के ध्रुव बनें| ॐ ॐ ॐ ||

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