Friday, 13 January 2017

हम सोते ही न रह जाएँ ऐ शोरे-क़यामत .....

"हम सोते ही न रह जाएँ ऐ शोरे-क़यामत !
इस राह से निकलो तो हमको भी जगा देना !!"
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अब्राहमिक मतों के अनुसार जिस दिन क़यामत होगी, उस दिन पूर्व दिशा में बड़े जोर से एक नारसिंघे की आवाज़ गूंजेगी जिसे सुनकर सारे गड़े मुर्दे खड़े हो जायेंगे| सब की पेशी होगी, सब का इन्साफ होगा| बड़ा शोरगुल होगा|
पर कुछ आशिक़ ऐसे भी हैं जो अपनी मस्ती में सोये हुए हैं, जिन्हें क़यामत की फ़िक्र नहीं है| वे पहिले से ही उस शोरे-क़यामत से कह रहे हैं कि जब इधर से निकलो तब हमको भी जगा देना, कहीं हम सोते ही न रह जाएँ|
हम सोते ही न रह जाएँ ऐ शोरे-क़यामत !
इस राह से निकलो तो हमको भी जगा देना !!
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परमात्मा के इश्क़ में प्रसन्न गाफ़िल दीवाने लोगों के लिए परमात्मा से मिलने की कोई शीघ्रता नहीं होती| उनके लिए विरह का आनंद मिलने की खुशी से कहीं अधिक मस्ती भरा होता है| परमात्मा के प्यार में पागलपन का जो आनंद है वह अन्यत्र नहीं है| परमात्मा के विरह में भी एक खुशी है जो हो सकता है परमात्मा से मिलने के बाद न हो| अतः अब कोई फर्क नहीं पड़ता कि परमात्मा मिले या न मिले|
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"वस्ल में जुदाई का गम, जुदाई में मिलने की ख़ुशी| कौन कहता है जुदाई से विसाल अच्छा है||"

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ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ||

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