Thursday, 13 February 2025

वियोग का असह्य कष्ट ---

 मैं वियोग के एक ऐसे असह्य कष्ट में हूँ, जिसके निवारण के किसी उपाय का मुझे बोध नहीं है। समय निकला जा रहा है, मेरी बात को समझने वाला भी कोई नहीं है।

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मेरे बाईं ओर अंधकार से घिरे अपने वाहन भैंसे पर बिराजमान यमराज मुस्कराते हुये मेरी ओर देख रहे हैं। उनके भैंसे के गले में बँधी घंटी की ध्वनि बड़ी कर्कश है, लेकिन उसमें भी एक बड़ा प्रबल आकर्षण है, जो भोगों की आकांक्षा है।
मेरे दाहिने ओर प्रकाशमय स्वयं भगवान शिव अपने धर्मरूपी वाहन वृष के ऊपर बैठे हुए अभय मुद्रा में मुझे निर्भय होने का आश्वासन दे रहे हैं। उनके वाहन बैल के गले में बँधी घंटी से प्रणव की ध्वनि आ रही है। उनके प्रकाशमय सौम्य जटामंडल में भगवती गंगा की शीतलता है -- जो मेरा आत्मतत्त्व है।
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मैंने शिव का वरण कर लिया है, अब कोई विकल्प नहीं रहा है। संसार के किसी काम का नहीं हूँ, फिर भी शाश्वत शिव के साथ एक हूँ। ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१३ फरवरी २०२५

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