"सर्वेश्वर श्रीरघुनाथो विजयतेतराम॥"
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"जितने तारे गगन मे उतने शत्रु होंय, जब कृपा होय रघुनाथ की बाल न बांका होय॥"
भय की क्या बात है? भगवान श्रीराम स्वयं हमारी रक्षा कर रहे हैं। वाल्मीकि रामायण में उनका दिया हुआ वचन है --
"सकृदेव प्रपन्नाय तवास्मीति च याचते। अभयं सर्वभूतेभ्यो ददाम्येतद् व्रतं मम॥"
अर्थात जो एक बार भी शरण में आकर ‘मैं तुम्हारा हूँ’ ऐसा कहकर मेरे से रक्षा की याचना करता है, उसको मैं सम्पूर्ण प्राणियों से अभय कर देता हूँ‒यह मेरा व्रत है।
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भगवान श्रीराम विजयी होंगे । उनके समक्ष असत्य का अंधकार नहीं टिक सकता।
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