आध्यात्मिक चुंबकीय पर्वत ---
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एक पर्वत है जहाँ जाने के लिए चढ़ाईदार एक पक्की सड़क है। जहाँ से चढ़ाई आरंभ होती है, वहाँ उस बिन्दु पर अपनी मोटर गाड़ी का इंजन बंद कर गाड़ी को न्यूट्रल में डाल दो। उस पर्वत शिखर का चुंबकीय आकर्षण इतना प्रबल है कि गाड़ी अपने आप ही शिखर तक पहुँच जायेगी। यह सत्य है, भौतिक जगत में भी; और आध्यात्मिक जगत में भी।
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आध्यात्मिक जगत में -- वह स्थान आपका कूटस्थ है। भ्रूमध्य में ज्योतिर्मय ब्रह्म का ध्यान करते करते एक ज्योति के दर्शन होते हैं। एक बार दर्शन होने के पश्चात उसका नाश नहीं होता। वह ज्योति ही कूटस्थ है, जिसका ध्यान करते करते परमात्मा की चेतना स्वयमेव ही जागृत हो जाएगी। शर्त केवल एक ही है कि हमारा आचरण सत्यनिष्ठ हो।
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पुनश्च :--- भ्रूमध्य पर ध्यान केंद्रित कर वहाँ अपने इष्ट देव का ध्यान और मंत्रजप पूरी सत्यनिष्ठा से नित्य कम से कम दो घंटे तक करें। तीन महीने में ही आप स्वयं को पूरी तरह बदला हुआ और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत अधिक उन्नत पाओगे।
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