Tuesday, 21 January 2025

अयोध्या में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा को झुंझुनूं में आनंदोत्सव के रूप में मनाया गया ---

 आज के जैसा महोत्सव मैंने अपने पूरे जीवन में कभी नहीं देखा। मेरी आयु ७७ वर्ष है। पूरा विश्व ही आज राममय हो गया था। मेरा जीवन धन्य हुआ जो मैं यह दिन देख सका। पिछले पाँच सौ वर्षों के अंतराल के पश्चात यह सुयोग मिला। मैं राजस्थान के एक बहुत छोटे से नगर झुंझुनूं में रहता हूँ, आज यह पूरा नगर ही राममय हो गया था। छोटे-बड़े हरेक मंदिर में सफाई, रोशनी, सजावट, भजन-कीर्तन, पूजा-पाठ और अनेक स्थानों पर भंडारे हुए। जरूरतमंद लोगों को कंबलें, जूते और वस्त्र बाँटे गए, बच्चों से धर्मज्ञान विषयक प्रश्नोत्तरियाँ हुईं, स्कूलों के बालकों ने अपने बैंड बाजे बजाते हुए जुलूस निकाले। हरेक के चेहरे पर प्रसन्नता थी। संत-महात्माओं ने अपने आश्रमों में धार्मिक कार्यक्रम किये। अनेक स्थानों पर अखंड रामचरितमानस का पाठ हुआ। पिछले पाँच सौ वर्षों से इसी दिन की प्रतीक्षा थी। इसे ही रामकृपा कहते हैं।

जय जय श्रीसीताराम !! श्री रामचंद्रचरणो शरणम् प्रपद्ये !! श्रीमते रामचंद्राय नमः !!
सर्वेश्वरश्रीरघुनाथोविजयतेतराम !! रां रामाय नमः !!
कृपा शंकर
२२ जनवरी २०२४
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पुनश्च: ---- अयोध्या में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा को झुंझुनूं में आनंदोत्सव के रूप में मनाया गया. इस मौके पर सेठ मोतीलाल स्टेडियम में एक लाख 11 हजार 111 दीपकों को शाम को एक साथ प्रज्ज्वलित कर दिवाली जैसा माहौल बनाया गया.



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