आने वाले ३१ दिसंबर को निशाचर-रात्रि है| सभी को निशाचर-रात्री की शुभ कामनाएँ ...
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वैसे तो हर दिन 'नववर्ष' है, दूसरे शब्दों में ..... "दिन को होली‚ रात दिवाली‚ रोज मनाती मधुशाला"| आने वाले ३१ दिसंबर को निशाचर-रात्रि है, बच कर रहें| भगवान सब का कल्याण करें| इस रात्रि को निशाचर लोग मदिरापान, अभक्ष्य भोजन, फूहड़ नाच गाना, और अमर्यादित आचरण करते हैं| "निशा" रात को कहते हैं, और "चर" का अर्थ होता है चलना-फिरना या खाना| जो लोग रात को अभक्ष्य आहार लेते हैं, या रात को अनावश्यक घूम-फिर कर आवारागर्दी करते हैं, वे निशाचर हैं| रात्रि को या तो पुलिस ही गश्त लगाती है, या चोर-डाकू, व तामसिक लोग ही घूमते-फिरते हैं| जिस रात भगवान का भजन नहीं होता वह राक्षस-रात्रि है, और जिस रात भगवान का भजन हो जाए वह देव-रात्रि है| ३१ दिसंबर की रात को लगभग पूरी दुनिया ही निशाचर बन जाएगी| अतः बच कर रहें, सत्संग का आयोजन करें या भगवान का ध्यान करें| सबको शुभ कामनाएँ| ॐ तत्सत् ! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय !!
कृपा शंकर
२९ दिसंबर २०१९
३१ दिसंबर को निशाचर रात्री है, बच कर रहें .....
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३१ दिसंबर की रात्री को अनेक लोगों द्वारा अत्यधिक मदिरापान, अभक्ष्य भोजन, फूहड़ नाच गाना, और अमर्यादित आचरण होता है | "निशा" रात को कहते हैं, और "चर" का अर्थ होता है चलना या खाना | जो लोग रात को अभक्ष्य भोजन करते हैं, या रात को अनावश्यक घूम कर आवारागर्दी करते हैं, वे निशाचर हैं | प्राचीन भारत में सिर्फ तामसिक असुर लोग ही रात को खाते थे | अन्य लोग रात को नहीं खाते थे | ३१ दिसंबर की रात को लगभग पूरी दुनिया निशाचर बन जाएगी | अतः बच कर रहें, सत्संग का आयोजन करें या भगवान का ध्यान करें |
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तीन चार साल पहिले हम चार-पाँच मित्रों ने ३१ दिसंबर की रात्री को कड़कड़ाती ठण्ड में श्मशान भूमि की नीरवता में रहकर तप करने वाले बाबा आनंदगिरी के साथ श्मशान भूमि के एक कमरे में सत्संग भजन व ध्यान किया था | वे भी बहुत प्रसन्न हुए | फिर दुबारा अगले वर्ष कोई मित्र तैयार नहीं हुआ |
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जिस रात भगवान का भजन नहीं होता वह राक्षस रात्री है, और जिस रात भगवान का भजन हो जाए वह देव रात्रि है | सबको शुभ कामनाएँ |
ॐ तत्सत् !ॐ ॐ ॐ !!
२९ दिसंबर २०१७