सुखी कौन ? .....
--------------
जो प्रभु से सब के कल्याण की प्रार्थना करता है, जो सब को सुखी और निरामय देखना चाहता है, सिर्फ वही सुखी है| प्रभु की सब संतानें यदि सुखी हों तभी हम सुखी हो सकते हैं, अन्यथा नहीं|
सुखी होना एक मानसिक अवस्था है, कोई उपलब्धि नहीं| सुखी होना एक यात्रा है, गंतव्य नहीं| सुखी होना वर्तमान में है, भविष्य में नहीं| सुखी होना एक निर्णय है, परिस्थिती नहीं| सुखी होना स्वयं में स्थित होना है, दिखावे में नहीं|
.
संसार को हम स्वयं को बदल कर और स्वयं के दृढ़ संकल्प से ही बदल सकते हैं, अन्यथा नहीं| किसी से कोई अपेक्षा नहीं रखें और स्वयं का सर्वश्रेष्ठ करें|
सब से बड़ा कार्य जो कोई मेरी दृष्टी में कर सकता है वह है कि हम निरंतर प्रभु को प्रेम करें और उन्हीं को समर्पित होने की निरंतर साधना करें| इससे सब का कल्याण होगा|
सभी को शुभ कामनाएँ और सप्रेम नमन ! ॐ ॐ ॐ ||
२७ दिसंबर २०१५
No comments:
Post a Comment