Tuesday 10 May 2022

विश्व के सभी निष्ठावान श्रद्धालुओं का सत्य-सनातन-हिन्दू धर्म में स्वागत है ---

 विश्व के सभी निष्ठावान श्रद्धालुओं का सत्य-सनातन-हिन्दू धर्म में स्वागत है ---

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पूरे विश्व के अन्य मतावलंबी जो हिन्दू बनना चाहते हैं, उनका हिन्दू धर्म में सप्रेम सादर स्वागत है। इसमें कोई औपचारिकता नहीं है। विश्व में कहीं भी जो कोई भी स्वयं को हिन्दू मानता है, वह स्वतः ही हिन्दू है।
जिन के पूर्वज हिन्दू थे, और जिन्हें बलात् अपना धर्म छोड़ना पड़ा, उन्हें घर-बापसी कर अपने पूर्वजों का धर्म स्वीकार कर लेना चाहिये। घर-बापसी पर उनका ससम्मान स्वागत है।
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सत्य-सनातन-हिन्दू धर्म को समझना बहुत अधिक सरल है। इसमें कुछ भी जटिलता नहीं है। मैंने ईसाई रिलीजन के ओल्ड, व सारे न्यू टेस्टामेंटों; व इस्लामी मज़हब की कुरान शरीफ का तुलनात्मक अध्ययन किया है। उस आधार पर कह रहा हूँ कि सनातन हिन्दू धर्म को समझना सबसे अधिक आसान है।
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भारत के संविधान ने विद्यालयों में हिन्दू धर्म के अध्यापन और प्रचार-प्रसार पर प्रतिबंध लगा रखा है, अतः धर्मशिक्षा के अभाव में हिन्दू युवाओं को अपने धर्म का ज्ञान नहीं है। हमें अपनी सरकारों पर दबाव डाल कर हिंदुओं के बिरुद्ध हो रहे सारे अन्यायों व भेदभावों को हटवाना चाहिए। हिन्दुओं को समान अधिकार प्राप्त होंगे तो उनके धर्म का भी प्रचार-प्रसार होगा। हिन्दू, हिन्दुत्व व हिन्दू राष्ट्र क्या है? इस विषय पर कुछ चर्चा करना चाहूँगा ---
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(१) हिन्दू :-- जो भी व्यक्ति आत्मा की शाश्वतता, पुनर्जन्म, कर्मफलों व ईश्वर के अवतारों में आस्था रखता है, वह हिन्दू है, चाहे वह पृथ्वी के किसी भी भाग पर किसी भी देश में रहता है। हिन्दू धर्म का लक्ष्य है - भगवत्-प्राप्ति। हिन्दुत्व ही भगवत्-प्राप्ति यानि आत्म-साक्षात्कार का मार्ग दिखाता है। जो जीवन में भगवान को पाना चाहते हैं, यानि भगवान को उपलब्ध होना चाहते हैं, वे स्वतः ही हिन्दू हैं।
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(२) हिन्दुत्व :-- हिन्दुत्व एक ऊर्ध्वमुखी भाव है जो निज जीवन में परमात्मा को व्यक्त करता है। हिन्दुत्व है हिंसा से दूरी। महाभारत के अनुसार मनुष्य का लोभ और अहंकार हिंसा हैं, जिनसे मुक्ति परमधर्म अहिंसा है। हिन्दुत्व हे - परमात्मा से परमप्रेम और परमात्मा को समर्पण।
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(३) हिन्दू राष्ट्र :-- 'हिन्दू राष्ट्र' ऊर्ध्वमुखी विचारों के ऐसे व्यक्तियों का समूह है जो निज जीवन में परमात्मा को व्यक्त करना चाहते हैं, चाहे वे पृथ्वी के किसी भी भाग में रहते हों। उनकी कामना होती है --
"सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्॥"
"सर्वेषां मङ्गलं भूयात् सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत्॥"
सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।
यह सब के कल्याण का भाव ही हिन्दू राष्ट्र है।
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इन्हीं मंगलकामनाओं के साथ आपका जीवन मंगलमय और शुभ हो। ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
७ मई २०२२

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