हृदय से प्रार्थना करने पर देवता भी प्रार्थना स्वीकार कर कल्याण करते हैं---
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इस जीवन में इस घटना से पूर्व पहले कभी किसी देवता का न तो आवाहन किया था, और न ही कभी किसी देवता की साधना की थी| पूजा-पाठ में जो करते हैं, वह दूसरी बात है| इस अनुभव से पता चला कि देवता भी मनुष्य का कल्याण करने को आतुर रहते हैं|
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जीवन में पहली और अंतिम बार किसी देवता का एक बार आवाहन और ध्यान किया था, जिसका फल भी तुरंत मिला| बात सितंबर २०२० की है| मैं अपने ब्रह्मलीन बड़े भाई के अस्थि-विसर्जन के लिए परिवार के कुछ अन्य सदस्यों के साथ हरिद्वार गया था| वहाँ ब्रहमकुंड पर तीर्थ-पुरोहित से अस्थि-विसर्जन के समय की पूजा तो परिवार के अन्य सदस्य करवा रहे थे, मैं थोड़ी दूर एकांत में गंगा जी में खड़े होकर पित्तरों के देवता भगवान अर्यमा का ध्यान करने लगा| जैसे-जैसे ध्यान की गहराई बढ़ी, मुझे इस शरीर की चेतना नहीं रही| मेरी ओर किसी ने भी नहीं देखा| अचानक ही मुझे लगा जैसे मेरे चारों ओर एक अति तीब्र प्रकाश है; इतना तीब्र कि नंगी आँखों से उसे कोई देख नहीं सकता| सामने उस तीब्र प्रकाश के मध्य मुझे अति श्वेत प्रकाशमय किसी देवता की अनुभूति हुई जिसकी दृष्टि मेरी ओर थी| आत्म-प्रेरणा से मेरे हृदय से यही प्रार्थना निकली कि "मेरे बड़े भाई की सद्गति हो, और मुझे कुछ भीे नहीं चाहिए|"
वे देव पुरुष यह स्पष्ट आश्वासन मुझे देकर कि मेरे बड़े भाई की सदगति हुई है, और मुझे निश्चिंत रहने को कहकर अनंत में विलीन हो गए|
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मैं जब सामान्य स्थिति में आया तब मुझे पता चला कि समाधि की उस स्थिति में मैं गिर कर पानी में बह भी सकता था, चोट भी लग सकती थी, पर किसी अज्ञात शक्ति ने मेरी रक्षा भी की थी| सबसे बड़ी प्रसन्नता तो इस बात की हुई कि मेरे हृदय से की गई प्रार्थना सुनी गई और फलीभूत भी हुई|
पित्तरों के देवता भगवान अर्यमा को नमन|
ॐ अर्यमा न त्रिप्य्ताम इदं तिलोदकं तस्मै स्वधा नमः|
--- ॐ मृत्योर्मा अमृतं गमय|| ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
९ फरवरी २०२१
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