आध्यात्म में जितना भी मुझे समझ में आया, और जो भी संभव हुआ, वह मेरे माध्यम से खूब लिखा गया है। भगवान श्रीकृष्ण की कुछ विशेष कृपा ही मुझ पर रही है, इसलिए उनके उपदेशों को समझने में मुझे कभी कोई कठिनाई नहीं हुई।
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अब तो प्रत्यक्ष रूप से पूरा अंतःकरण (मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार) ही उनका हो गया है, अतः शेष लौकिक जीवन उन्हीं के ध्यान, भजन, स्मरण आदि में ही व्यतीत हो जाएगा। सोशियल मीडिया पर बना रहूँगा। इसे नहीं छोड़ूँगा।
आप सब में परमात्मा को नमन !! ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
१३ फरवरी २०२२
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