Sunday 28 November 2021

हमारे दुःख, कष्ट, अभाव और बेचैनी -- भगवान की बड़ी कृपा और आशीर्वाद हैं ---

 हमारे दुःख, कष्ट, अभाव और बेचैनी -- भगवान की बड़ी कृपा और आशीर्वाद हैं ---

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हमारे दुख, कष्ट, और बेचैनी हमें सदा भगवान की याद दिलाते हैं। अगर जीवन में दुःख, कष्ट, पीड़ायें, अभाव और बेचैनी नहीं आयेंगी, तो भगवान को कौन याद करेगा? महात्मा लोग कहते हैं कि किसी भी तरह की कोई कामना नहीं होनी चाहिए। लेकिन मेरा तो यह कहना है कि 'कामना' भी भगवान का दिया हुआ एक अनुग्रह है। किसी भी वस्तु की कामना इंगित करती है कि कहीं ना कहीं किसी चीज का "अभाव" है। यह "अभाव" ही हमें बेचैन करता है, और हम उस बेचैनी को दूर करने के लिए दिन रात एक कर देते हैं। लेकिन वह बेचैनी दूर नहीं होती, व 'अभाव' निरंतर हर समय बना ही रहता है। उस अभाव को सिर्फ भगवान की उपस्थिति ही भर सकती है, अन्य कुछ भी नहीं।
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संसार की कोई भी उपलब्धि हमें संतुष्टि नहीं दे सकती, क्योंकि "संतोष" और "आनंद" दोनों ही हमारे स्वभाव हैं जिनकी प्राप्ति "परमप्रेम" से ही होती है। हमारा पीड़ित और बेचैन होना हमारी परमात्मा की ओर यात्रा का आरंभ है। हमारे दुःख ही हमें भगवान की ओर जाने को बाध्य करते हैं। अगर ये नहीं होंगे तो हमें भगवान कभी भी नहीं मिलेंगे।
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अतः दुनिया वालो, दुःखी ना हों। भगवान से खूब प्रेम करो, प्रेम करो और पूर्ण प्रेम करो। हम को सब कुछ मिल जायेगा, लेकिन पहले स्वयं को प्रेममय बनना पड़ेगा। अपने दुःख-सुख, अपयश-यश , हानि-लाभ, पाप-पुण्य, विफलता-सफलता, बुराई-अच्छाई, जीवन-मरण यहाँ तक कि अपना अस्तित्व भी सृष्टिकर्ता को बापस सौंप दो। उनके कृपासिन्धु में हमारी हिमालय सी भूलें, कमियाँ और पाप भी छोटे मोटे कंकर पत्थर से अधिक नहीं है। वे वहाँ भी शोभा दे रहे हैं। जो नारकीय जीवन हम जी रहे हैं, उस की बजाय तो भगवान को समर्पित हो जाना अधिक अच्छा है। भगवान के पास सब कुछ है, पर एक ही चीज नहीं है जिसके लिए वे भी तरसते हैं, और वह है हमारा प्रेम। हम रूपया-पैसा, पत्र, पुष्प, फल और जल आदि जो कुछ भी चढाते हैं, क्या वह सचमुच हमारा है? वह तो भगवान का ही दिया हुआ सामान है। इसमें हमारा क्या है? हमारे पास अपना कहने को एक ही सामान है, और वह है हमारे हृदय का परमप्रेम। उसको देने में भी कंजूसी क्यों? अन्य कुछ हमारा है ही नहीं।
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आप सब महान आत्माओं को नमन !!
ॐ तत्सत् !! ॐ नमःशिवाय !! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२८ नवंबर २०२१

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