Sunday, 28 November 2021

इस आयु में मेरा स्वधर्म :---

 इस आयु में मेरा स्वधर्म :---

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अब मेरे इस शरीर, मन, बुद्धि , और स्मृति की क्षमता, व उत्साह में निरंतर कमी होती जा रही है| पहले वाली बात नहीं रही है| पहले से आधी से भी बहुत कम क्षमता रह गई है| अब बहुत शीघ्र थक जाता हूँ, लगता है कि समय से बहुत पहिले ही अशक्त हो रहा हूँ|
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अतः इस अवस्था में मेरा यह स्वधर्म बनता है कि अन्य सब ओर से ध्यान हटा कर अधिक से अधिक समय 'स्वाध्याय' और 'ईश्वर की उपासना' में ही व्यतीत करूँ| बचा-खुचा जो भी जीवन है, वह परमात्मा को समर्पित है|
"श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात् | स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः ||"
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मुझे मेरी पात्रता से भी बहुत अधिक स्नेह, प्रेम और सम्मान, आप सब से मिला है, जिस के लिए मैं आप सब का आभारी हूँ| परमात्मा में मैं सभी के साथ एक हूँ| एक क्षण के लिए भी किसी से दूर नहीं हूँ| परमात्मा से प्रेम ही मेरी एकमात्र संपत्ति है, अन्य कुछ भी मेरे पास नहीं है| आप सब को नमन ...
"नमो नमस्तेऽस्तु सहस्रकृत्वः पुनश्च भूयोऽपि नमो नमस्ते |
नमः पुरस्तादथ पृष्ठतस्ते नमोऽस्तु ते सर्वत एव सर्व ||"
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"सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज | अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः ||"
"मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु | मामेवैष्यसि युक्त्वैवमात्मानं मत्परायणः ||"
"मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु | मामेवैष्यसि सत्यं ते प्रतिजाने प्रियोऽसि मे ||"
"प्रयाण काले मनसाचलेन भक्त्या युक्तो योगबलेन चैव |
भ्रुवोर्मध्ये प्राणमावेश्य सम्यक्‌- स तं परं पुरुषमुपैति दिव्यम्‌ ||"
"सर्वद्वाराणि संयम्य मनो हृदि निरुध्य च | मूर्ध्न्याधायात्मनः प्राणमास्थितो योगधारणाम् ‌||"
"ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म व्याहरन्मामनुस्मरन् ‌| यः प्रयाति त्यजन्देहं स याति परमां गतिम्‌ ||"
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श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिये हुए उपदेश --- सरलतम, सार्वभौम, और शाश्वत हैं| उन के द्वारा बताई विधि से की गई उपासना, सभी का परम कल्याण कर सकती है| ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२८ नवम्बर २०२०

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