नववर्ष की शुभ कामनाएँ और संकल्प :-----
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आज़ादी मिलेगी, आज़ादी मिलेगी, आज़ादी मिलेगी, निश्चित रूप से आज़ादी मिलेगी, सब को आज़ादी मिलेगी| सब तरह की कुत्सित राक्षसी विचारधाराओं से, गलत मज़हबी दुराग्रहों से, गलत राजनीतिक-पारिवारिक गुलामी की परम्पराओं से, और लोभ, राग-द्वेष, अहंकार, झूठ-कपट व कुटिलता से सब को आज़ादी मिलेगी| गुलामी की परम्पराएँ समाप्तप्राय हैं| सभी तरह की गुलामी का विनाश होगा, जो गुलाम रहना चाहेंगे, प्रकृति उन्हें नष्ट कर देगी|
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आज़ादी सिर्फ परमात्मा में है| परमात्मा से बाहर गुलामी ही गुलामी है| साकार रूप में जो भगवान वासुदेव हैं, निराकार रूप में वे ही पारब्रह्म परमात्मा परमशिव हैं| आज़ादी मिलेगी गीता में बताई हुई अहैतुकी अनन्य अव्यभिचारिणी भक्ति और समर्पण से| श्रुति भगवती ने इसी का डिमडिम घोष किया है| अपनी अपनी गुरु-परंपरानुसार उपासना करें| जो मेरे साथ हैं वे अनंताकाश के सूर्यमण्डल में कूटस्थ ब्रह्म परमशिव का ध्यान करें| वहाँ निश्चित रूप से आज़ादी ही आज़ादी है, कोई गुलामी नहीं है|
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आप मेरे प्रियतम परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्तियाँ हैं| आप स्वयं शाश्वत परमशिव हैं, यह नश्वर देह नहीं| आप सब को नमन| आप सब को इस नववर्ष में आज़ादी मिले, यही मेरा इस नववर्ष का संकल्प है|
ॐ तत्सत् ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
३१ दिसंबर २०१९
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"निसिचर हीन करउँ महि भुज उठाइ पन कीन्ह| सकल मुनिन्ह के आश्रमन्हि जाइ जाइ सुख दीन्ह||"
जो लोग 31 दिसंबर की मध्य रात्रि को ग्रेगोरियन कलेंडर के अनुसार नववर्ष मनाते हैं, उन को नववर्ष की शुभ कामनाएँ .....
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मुस्लिम देशों को छोड़कर विश्व के सभी देशों, यहाँ तक की पूर्व साम्यवादी देशों और भारतवर्ष में भी सरकारी स्तर पर नववर्ष ग्रेगोरियन कलेंडर के अनुसार ही मनाया जाता है| (व्यक्तिगत रूप से मैं तो चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि को घट-स्थापना कर माँ भगवती की उपासना से नववर्ष मनाता हूँ) आज ३१ दिसंबर को निशाचर-रात्री है| निशाचर-रात्री को निशाचर लोग मदिरापान, अभक्ष्य भोजन, फूहड़ नाच गाना, और अमर्यादित आचरण करते हैं| "निशा" रात को कहते हैं, और "चर" का अर्थ होता है चलना-फिरना या खाना| जो लोग रात को अभक्ष्य आहार लेते हैं, या रात को अनावश्यक घूम-फिर कर आवारागर्दी करते हैं, वे निशाचर हैं| जिस रात भगवान का भजन नहीं होता वह राक्षस-रात्रि है, और जिस रात भगवान का भजन हो जाए वह देव-रात्रि है| ३१ दिसंबर की रात को लगभग पूरी दुनिया ही निशाचर बन जाएगी| अतः बच कर रहें, सत्संग का आयोजन करें|
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भगवाम श्रीराम की प्रतिज्ञा अवश्य याद रखें .....
"निसिचर हीन करउँ महि भुज उठाइ पन कीन्ह| सकल मुनिन्ह के आश्रमन्हि जाइ जाइ सुख दीन्ह||"
भावार्थ :---- श्रीराम ने भुजा उठा कर प्रण किया कि मैं पृथ्वी को राक्षसों से रहित कर दूँगा| फिर समस्त मुनियों के आश्रमों में जा-जा कर उन को (दर्शन एवं सम्भाषण का) सुख दिया ||
भगवान के भजन हेतु कोई तो बहाना चाहिए| इस बहाने यथासंभव अधिकाधिक भगवान का ध्यान, जप और कीर्तन करेंगे| जिन के भी ऐसे विचार हैं, मैं परमात्मा में उन के साथ हूँ| पुनश्च: सभी को शुभ कामनाएँ| यह नववर्ष हम सब के लिये मंगलमय हो|
ॐ तत्सत् | ॐ नमो भगवते वासुदेवाय | ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
३१ दिसंबर २०१९