Friday 17 January 2020

शराब और भांग-गांजे में क्या अंतर है?.....

शराब और भांग-गांजे में क्या अंतर है?.....
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ईसा की उन्नीसवीं शताब्दि तक अमेरिका में भांग-गांजे का सेवन पूरे विश्व में सबसे अधिक था| वहाँ के मूल निवासी, काले नीग्रो और गरीब श्वेत लोग भांग-गांजे का खूब सेवन करते थे, और श्वेत अमीर लोग शराब पीते थे| शराब मंहगी होती थी और उसे अमीर लोग ही पी सकते थे| भांग के पौधे free होते थे जिन्हें कहीं पर भी उगाया जा सकता था, इस लिए गरीब अमेरिकन लोग खूब भांग खाते थे| वहाँ की सरकार भी इसे प्रोत्साहित करती थी| फिर एक समय ऐसा आया कि शराब बनाने वाली कंपनियों ने अपने डॉलरों के जोर से अमेरिकी सरकार पर दबाव डाल कर अमेरिका में ही नहीं पूरे विश्व में भांग-गांजे पर प्रतिबंध लगवा दिया ताकि शराब खूब बिके|
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आजकल नई मेडिकल शोधों में भांग में कैंसर रोधी तत्व पाये गए हैं और यह देखा गया है कि भांग खाने वालों को केन्सर नहीं होता| अब अमेरिका में एक आन्दोलन चल पड़ा है भांग-गांजा फिर से free करने के लिए| उनका तर्क है कि जहाँ तंबाकू और शराब का सेवन कर हर वर्ष हजारों लोग मरते हैं, वहाँ आज तक के इतिहास में भाँग-गांजे के सेवन से एक भी आदमी नहीं मरा है|
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भारत में नियम बड़े सख्त हैं| बिना लाइसेंस के भांग-गाँजा और अफीम उगाना एक अपराध है जिसमें जमानत भी नहीं होती और बहुत अधिक सजा का प्रावधान है| अतः भांग-गांजा पास में भी रखने जैसी गलती भूल कर भी न करें| भारत में इनके सेवन करने के लिए लाइसेंस लेना पड़ता है, अन्यथा इनको पास में रखना भी गंभीर अपराध है| इसलिए इन से दूर रहें|
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आजकल भारत में बढ़ रही शराब के नशे की प्रवृति बड़ी दुखद है| समाज के हर वर्ग में, क्या अमीर और क्या गरीब,यहाँ तक कि महिलाओं में भी पनप रही शराब पीने की प्रवृति बड़ी दुखद है| यह भ्रष्टाचार से भी अधिक भयावह है| यह भारत को खोखला कर रही है| भारत में अंग्रेजों के आने से पूर्व मद्यपान बहुत कम लोग करते थे| अंग्रेजों ने इसे लोकप्रिय बनाया| अंग्रेजों के आने से पूर्व नशा करने वाले भांग खाते थे और गांजा पीते थे जो बहुत कम हानि करता था| भांगची और गंजेड़ी लोग अपनी पत्नियों को नहीं पीटते थे, और किसी का कोई नुकसान नहीं करते थे| पर सरकारों को इसमें कोई टेक्स नहीं मिलता था इसलिए सरकारों ने इस पर प्रतिबन्ध लगा दिया| शराब की बिक्री से सरकार को 40% कर मिलता है इसलिए सरकारें शराब को प्रोत्साहन देती हैं|
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भारत में साधू संत अति प्राचीन काल से भांग गांजे का सेवन करते आ रहे हैं| जंगलों में और पहाड़ों की दुर्गम ऊंची चोटियों पर रहने वाले साधु स्वस्थ रहने के लिए भांग-गांजे का सेवन करते हैं और बीमार पड़ने पर शंखिया नाम के जहर का एक कण खाते हैं, पता नहीं इस से वे कैसे ठीक हो जाते हैं| किसी दवा का कोई साधन उनके पास नहीं होता और वे इन्हीं से काम चलाते हैं| सीमित मात्रा में नियमित भांग खाने वालों ने बहुत लम्बी उम्र पाई है|
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प्राचीन भारत के राजा बड़े गर्व से कहते थे कि मेरे राज्य में कोई चोर नहीं है और कोई शराब नहीं पीता| भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि भारत में एक दिन ऐसा अवश्य आये जब कोई चोर, दुराचारी और शराबी नहीं हो|
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ॐ तत्सत् ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
११ जनवरी २०२०

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