Thursday 23 January 2020

मेरा धर्म क्या है? .....

मेरा धर्म क्या है?
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मैं अपने धर्म को दो भागों में बांटता हूँ .....
(१) मेरे में जो भी सर्वश्रेष्ठ है ----- मेरी सर्वश्रेष्ठ क्षमता और सर्वश्रेष्ठ विचार .... उनकी निज जीवन में पूर्ण अभिव्यक्ति का यथासंभव प्रयास ही मेरा प्रथम धर्म है| उससे किसी को पीड़ा न हो, सिर्फ कल्याण ही हो|
(२) साधनाकाल में मेरा धर्म .....सूक्ष्म "प्राणायाम" हैं| जिन साधना पद्धतियों में मैं दीक्षित हूँ, और जिनका अनुशरण करता हूँ, वे कुछ गोपनीय सूक्ष्म प्राणायामों पर आधारित हैं जो सूक्ष्म देह में मेरुदंडस्थ सुषुम्ना, परासुषुम्ना और उत्तरासुषुम्ना नाड़ियों में किए जाते हैं| मुझे सूक्ष्म जगत से मार्गदर्शन मिलता है, अतः कहीं, किसी भी प्रकार की कोई शंका नहीं है| उन सूक्ष्म प्राणायामों के साथ साथ अजपा-जप और नादानुसंधान भी साधना के भाग है| साधना की परावस्था में मेरा धर्म सच्चिदानंद भगवान से परमप्रेम (भक्ति), और प्रत्याहार-धारणा-ध्यान द्वारा जीवन में समत्व की प्राप्ति का प्रयास, पहिले से ही जागृत कुंडलिनी महाशक्ति का परमशिव में समर्पण, और अनंत परमशिव का ध्यान|
बस ये ही मेरे धर्म है| इससे अधिक मैं कुछ भी अन्य नहीं जानता| पूरा मार्गदर्शन मुझे मेरी गुरु-परंपरा और गीता से मिल जाता है| उपनिषदों का कुछ कुछ स्वाध्याय किया है जो आंशिक रूप से ही समझ पाया हूँ, पर वेदों को समझना मेरी बौद्धिक सामर्थ्य से परे है, इसलिए उन्हें नहीं समझ पाया हूँ|
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भगवान से परमप्रेम मेरा स्वभाव है, जिसके विरुद्ध मैं नहीं जा सकता| मेरी जाति-कुल-गौत्र आदि सब वे ही हैं जो परमात्मा के हैं| यह देह तो नष्ट होकर एक दिन पंचभूतों में मिल जाएगी, पर भगवान के साथ मेरा सम्बन्ध शाश्वत है|
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ॐ तत्सत, ॐ नमो भगवते वासुदेवाय, ॐ नमः शिवाय, ॐ ॐ ॐ||
कृपा शंकर बावलिया
झुञ्झुणु (राजस्थान)
२१ जनवरी २०२०

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