Thursday 5 September 2019

भगवान शिव के पाँच मुख .....

(संशोधित व पुनर्प्रस्तुत लेख). भगवान शिव के पाँच मुख .....
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शिव-पुराण में भगवान शिव के पाँच मुखों का उल्लेख है| शैवागम शास्त्रों में भी शिवजी के प्रतीकात्मक रूप से पाँच मुखों की विस्तृत व्याख्या है| हैं| शैवागम शास्त्रों के आचार्य ... दुर्वासा ऋषि हैं| ये पाँचों मुख पाँच तत्वों के प्रतीक हैं| इनके नाम हैं .... (१) सद्योजात (जल), (२) वामदेव (वायु), (३) अघोर (आकाश), (४) तत्पुरुष (अग्नि), (५) ईशान (पृथ्वी)|
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्यवहारिक रूप से योग साधना करने वाले सभी योगियों को पंचमुखी महादेव के दर्शन गहन ध्यान में एक श्वेत रंग के पंचमुखी नक्षत्र के रूप में होते हैं जो एक नीले आवरण से घिरा होता है| यह नीला आवरण भी एक सुनहरे प्रकाश पुंज से घिरा होता है| ध्यान साधना में योगी पहले उस सुनहरे आवरण को, फिर नीले प्रकाश को, फिर उस श्वेत नक्षत्र का भेदन करता है| तब उसकी स्थिति कूटस्थ चैतन्य में हो जाती है| यह योगमार्ग की सबसे बड़ी साधना है| उससे से परे स्थित होकर जीव स्वयं शिव बन जाता है| उसका कोई पृथक अस्तित्व नहीं रहता| यह अनंत विराट श्वेत प्रकाश पुंज ही क्षीर सागर है जहां भगवान नारायण निवास करते हैं| यह है भगवन शिव के पाँच मुखों का रहस्य जिसे भगवान शिव की कृपा से ही समझा जा सकता है| इन तीनो प्रकाश पुंजों को हम शिवजी के तीन नेत्र कह सकते हैं|
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"ॐ तत् सत्" भी तीनों रंगों का प्रतीक है| सुनहरा प्रकाश ॐ है| यह वह स्पंदन है जिससे समस्त सृष्टि बनी है| नीला रंग 'तत्" यानि कृष्ण-चैतन्य या परम-चैतन्य है| 'सत्' श्वेत रंग स्वयं परमात्मा हैं| ईसाई मत में 'Father', 'Son' and the 'Holy Ghost' की परिकल्पना 'ॐ तत्सत्' का ही व्यवहारिक अनुवाद है| Holy Ghost का अर्थ ॐ है, Son का अर्थ है कृष्ण-चैतन्य, और Father का अर्थ है स्वयं परमात्मा|
("Om Tat Sat" is the "Father", "Son" and the "Holy Ghost" of Christianity. Holy Ghost is the Om vibration which has created every thing. Son is the Krishna consciousness or Christ consciousness. Father is the Divine Himself. The five pointed white star is the Dove of light descending from heaven.)
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जिन के एक भ्रू-विलास मात्र से अनंत कोटी ब्रह्मांडों का नाश हो सकता है, उन अभयंकर भगवान शिव की कृपा सदा हम सब पर बनी रहे| "यस्य भ्रूभङ्गमात्रेण भवो भवति भस्मसात् | भक्ताsभयङ्करं शंभुं तं याचेsभद्रभेदनम् "||
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शिवमस्तु | ॐ नमः शिवाय |
कृपा शंकर
(मूल रूप से १० अगस्त २०१३ को लिखा हुआ)
संशोधित: १० अगस्त २०१९

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