Wednesday 6 February 2019

हमारे सारे दुःखों, कष्टों व पीड़ाओं का कारण स्वयं को यह शरीर मानना है .....

हम स्वयं को यह शरीर मानते हैं और इसी के सुख के लिए सारा जीवन लगा देते हैं| इसी के सुख के लिए हम जीवन भर झूठ, कपट, और अधर्म का कार्य करते हैं| यही हमारे सारे दुःखों, कष्टों व पीड़ाओं का कारण है| भगवान कहते हैं कि हम यह देह नहीं शाश्वत आत्मा हैं| आत्मा की तृप्ति कैसे हो इस पर भी विचार करें| गीता के स्वाध्याय से सारे प्रश्नों के उत्तर मिल जायेंगे| भगवान कहते हैं .....
"न जायते म्रियते वा कदाचिन्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः | 
अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो न हन्यते हन्यमाने शरीरे ||२:२०||"
अर्थात् यह आत्मा किसी काल में भी न जन्मता है और न मरता है और न यह एक बार होकर फिर अभावरूप होने वाला है| यह आत्मा अजन्मा नित्य शाश्वत और पुरातन है, शरीर के नाश होने पर भी इसका नाश नहीं होता||
.
आप सब महान आत्माओं को नमन !
ॐ तत्सत् ! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ! ॐ ॐ ॐ !!
५ फरवरी २०१९

No comments:

Post a Comment