Saturday 17 March 2018

धर्म की रक्षा के लिए धर्म का पालन करें ..... .

धर्म की रक्षा के लिए धर्म का पालन करें .....
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प्रत्येक दिन का प्रारम्भ भगवान के ध्यान से करें| दिन में हर समय भगवान को अपनी चेतना में रखें| यदि भूल जाएँ तो याद आते ही पुनश्चः उन्हें अपनी चेतना में जीवन का केंद्रबिंदु बनाएँ| उनके उपकरण मात्र बनें| समर्पण का निरंतर प्रयास हो| रात्रि को सोने से पहिले यथासंभव गहनतम ध्यान करके ही सोयें| रात्रि का ध्यान सबसे अधिक महत्वपूर्ण है|
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जो द्विज हैं यानि जिन्होंने यज्ञोपवीत धारण कर रखा है उन्हें नित्य संध्या (संधि क्षणों में की गई साधना) और ब्रह्मगायत्री का यथासंभव अधिकाधिक जाप करना चाहिए| मानसिक रूप से तो किसी भी परिस्थिति में कर ही सकते हैं| वे हर कार्य का आरम्भ ब्रह्मगायत्री के मानसिक जाप से ही करें|
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संध्या तो सब का कर्तव्य है| सामान्यतः रात्री और दिवस का सन्धिक्षण, मध्याह्न, दिवस और रात्री का सन्धिक्षण और मध्यरात्रि का समय संध्याकाल होता है| इन संधिक्षणों में की गयी साधना को संध्या कहते हैं| अपनी गुरु परम्परानुसार सभी को संध्या करनी चाहिए| योगियों के लिए हर श्वास प्रश्वास और हर क्षण सन्धिक्षण है| वे अपने कूटस्थ में निरंतर ओंकार का ध्यान करते हैं|
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जैसा हम सोचते हैं वैसे ही हम बन जाते हैं| निरंतर भगवान का ध्यान करेंगे तो स्वतः ही सारे सद्गुण खिंचे चले आयेंगे और सारी विकृतियाँ स्वतः दूर हो जायेंगी|
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भगवान के प्रति अहैतुकी परम प्रेम ही हमारा सबसे बड़ा धर्म है| उनके प्रति समर्पित होकर जीवन का हर कार्य करना हमारा परम धर्म है| हम धर्म की रक्षा करेंगे तो धर्म भी हमारी रक्षा करेगा| बिना धर्म का पालन किये हम निराश्रय और असहाय हैं|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपाशंकर
१८ मार्च २०१५

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