नित्य साधना विधि क्या हो ? ...........
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आकाश में इतने पक्षी उड़ते हैं, सभी का अपना अपना मार्ग होता है| सभी साधकों का एक ही मार्ग नहीं हो सकता| हम जहाँ पर भी स्थित हैं वहीं से लक्ष्य की ओर बढ़ना होगा| हमारे पूर्व जन्मों के कर्मानुसार हमारी आध्यात्मिक स्थिति, हमारी वर्तमान मानसिकता, व्यक्तित्व दोष, क्षमता और नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव आदि का आंकलन कर कोई सदगुरु ही बता सकता है कि कौन सी साधना हमारे लिए सर्वश्रेष्ठ है|
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जब तक कोई मार्ग नहीं मिलता तब तक भगवान से मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना करें, सत्संग करें और सत्साहित्य का अध्ययन करें| भगवान निश्चित रूप से किसी संत महापुरुष के रूप में या सत्साहित्य के माध्यम से मार्गदर्शन करेंगे| सबसे बड़ी आवश्यकता एक ही है कि हमारे ह्रदय में प्रभु के प्रति प्रेम हो और उन्हें पाने की अभीप्सा हो| जीवन का वास्तविक उद्देश्य ... व्यक्तिगत मुक्ति नहीं हो सकता| जीवन का वास्तविक उद्देश्य .. प्रभु के चरणों में सम्पूर्ण समर्पण है|
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"गगन दमामा बाजिया पड्या निशानै घाव" ..... कबीर जी कहते हैं कि साधना-मार्ग में प्रवेश करते ही आकाश में दमामा यानि युद्ध का बाजा बजने लगता है, युद्ध छिड़ जाता है, और युद्ध रुपी नगाड़े के ताल पर अपनी जान पर खेलना पड़ता है, तब कहीं ईश्वर की साधना की जा सकती है|
"सीस उतारि पग तलि धरे,तब निकटि प्रेम का स्वाद" ..... अपना सिर काट कर पैरों के नीचे रखने यानि अपने अहंकार को मिटा देने से ही प्रभु प्रेम का स्वाद मिलता है|
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परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ साकार अभिव्यक्तियाँ आप सब को नमन ! ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१५ मार्च २०१६
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आकाश में इतने पक्षी उड़ते हैं, सभी का अपना अपना मार्ग होता है| सभी साधकों का एक ही मार्ग नहीं हो सकता| हम जहाँ पर भी स्थित हैं वहीं से लक्ष्य की ओर बढ़ना होगा| हमारे पूर्व जन्मों के कर्मानुसार हमारी आध्यात्मिक स्थिति, हमारी वर्तमान मानसिकता, व्यक्तित्व दोष, क्षमता और नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव आदि का आंकलन कर कोई सदगुरु ही बता सकता है कि कौन सी साधना हमारे लिए सर्वश्रेष्ठ है|
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जब तक कोई मार्ग नहीं मिलता तब तक भगवान से मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना करें, सत्संग करें और सत्साहित्य का अध्ययन करें| भगवान निश्चित रूप से किसी संत महापुरुष के रूप में या सत्साहित्य के माध्यम से मार्गदर्शन करेंगे| सबसे बड़ी आवश्यकता एक ही है कि हमारे ह्रदय में प्रभु के प्रति प्रेम हो और उन्हें पाने की अभीप्सा हो| जीवन का वास्तविक उद्देश्य ... व्यक्तिगत मुक्ति नहीं हो सकता| जीवन का वास्तविक उद्देश्य .. प्रभु के चरणों में सम्पूर्ण समर्पण है|
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"गगन दमामा बाजिया पड्या निशानै घाव" ..... कबीर जी कहते हैं कि साधना-मार्ग में प्रवेश करते ही आकाश में दमामा यानि युद्ध का बाजा बजने लगता है, युद्ध छिड़ जाता है, और युद्ध रुपी नगाड़े के ताल पर अपनी जान पर खेलना पड़ता है, तब कहीं ईश्वर की साधना की जा सकती है|
"सीस उतारि पग तलि धरे,तब निकटि प्रेम का स्वाद" ..... अपना सिर काट कर पैरों के नीचे रखने यानि अपने अहंकार को मिटा देने से ही प्रभु प्रेम का स्वाद मिलता है|
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परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ साकार अभिव्यक्तियाँ आप सब को नमन ! ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१५ मार्च २०१६
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