Thursday 22 March 2018

इस राष्ट्र के और भी अच्छे दिन अवश्य ही आयेंगे ......

इस राष्ट्र के और भी अच्छे दिन अवश्य ही आयेंगे ......
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इस राष्ट्र के और भी अच्छे दिन तभी आयेंगे जब इस राष्ट्र में सब चरित्रवान होंगे, कोई चोर, डाकू, ठग और नशेड़ी नहीं होगा व यह राष्ट्र इतना सशक्त होगा कि किसी का साहस ही नहीं होगा इसकी ओर आँख उठाकर देखने का| जब यहाँ कोई डरपोक, दब्बू और कायर नहीं होगा, कहीं भी असत्य और अन्धकार नहीं होगा वे ही भारतवर्ष के अच्छे दिन होंगे| जब सब के ह्रदय में परम प्रेम होगा, जीवन में तपश्चर्या और चेतना में पूर्ण समर्पण होगा, तभी मानूंगा कि अच्छे दिन आ रहे हैं| वे दिन भी कभी न कभी अवश्य आयेंगे जब ह्रदय में न कोई वासना होगी, न कोई कामना और न कोई अपेक्षा|
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कहते हैं कि जीवन शाश्वत है जहाँ कोई मृत्यु नहीं है, आत्मा सिर्फ अपना आवरण बदलती है|
सभी अभीप्साएँ, कामनाएँ व वासनाएँ पूर्ण अवश्य होती हैं और सभी संकल्प व विचार निश्चित रूप से घनीभूत होकर फलीभूत होते हैं| जीवन के वे ही क्षण सार्थक होते हैं जो परमात्मा के चिंतन में व्यतीत होते हैं, बाकी तो सारा समय मरुभूमि में गिरे हुए जल की बूंदों की तरह निरर्थक होता है| व्यक्ति अपनी भूलों से बहुत कुछ सीखता है, पर जब तक वे समझ में आती है तब तक बहुत देरी हो चुकी होती है| जीवन अति अल्प है|
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सांसारिक उपलब्धियों से और इन्द्रीय सुखों से जीवन में सिर्फ अहंकार ही तृप्त होता है| इनमें कोई स्थायित्व नहीं है, ना ही इनसे कोई संतुष्टि मिलती है| यह संसार जीव को आनंद की लालसा देता है पर मात्र दुःख और पीड़ा ही देता है| लगता है इस संसार में मनुष्य यही पाठ सीखने बार बार जन्म लेता है| यही पाठ निरंतर सिखाया जा रहा है| कोई इसे शीघ्र सीख लेता है, कोई देरी से| जो इसे नहीं सीखता वह सीखने के लिए बाध्य कर दिया जाता है|
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सुख की खोज में पता नहीं मैंने भी कितने हाथ पैर मारे, कितना संघर्ष किया, कहाँ कहाँ देश विदेशों में भटका, कैसे कैसे लोगों के मध्य रहा, कितने सारे म्लेच्छ देशों में गया, विश्व भ्रमण किया, विश्व की परिक्रमा की, पता नहीं कैसे कैसे लोगों के हाथ का बनाया आहार ग्रहण किया, और कितनी हिमालय जितनी बड़ी अक्षम्य भूलें की? प्रकृति का सौम्य से सौम्य और विकराल से विकराल रूप भी देखा पर ह्रदय नहीं भरा, अभी भी अतृप्त है|
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ह्रदय में गहनतम अभीप्सा के साथ एक प्रचंड अग्नि जल रही है उस अवस्था को प्राप्त करने की जिसके बारे में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं ----
"यं लब्ध्या चापरं लाभं मन्यते नाधिकं ततः |
यस्मिन्स्थितो न दुःखेन गुरुणापि विचाल्यते ||"
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सब का जीवन सार्थक हो, धन्य हो, सब के ह्रदय में प्रभु के प्रति प्रेम भक्ति जागृत हो| सबके अच्छे दिन आयें| यही मेरी कामना है| आप सब में हृदयस्थ परमात्मा को प्रणाम !

ॐ तत्सत् || ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
२३ मार्च २०१६

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