Monday 19 March 2018

माता पिता को प्रणाम करने का सिद्ध बीज मंत्र .....

माता पिता को प्रणाम करने का सिद्ध बीज मंत्र .....
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यह एक सिद्ध संत का दिया हुआ प्रसाद है| अपने माता पिता के सामने नित्य नियमित रूप से भूमि पर घुटने टेक कर उनके चरणों पर इस मन्त्र के साथ सिर झुका कर प्रणाम करने से, और इस मन्त्र के साथ उनकी वन्दना करने से आपके पितृ प्रसन्न होते हैं और आपको आशीर्वाद देते हैं| यदि आपके माता-पिता दिवंगत हो गए हैं तो मानसिक रूप से इस विधि को करें|
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श्रुति कहती है ---- मातृदेवो भव, पितृदेवो भव|
माता पिता के समान गुरु नहीं होते| माता-पिता प्रत्यक्ष देवता हैं| यदि आप उनकी उपेक्षा करके अन्य किसी भी देवी देवता की उपासना करते हैं तो आपकी साधना सफल नहीं हो सकती|
यदि आपके माता-पिता सन्मार्ग में आपके बाधक है तो भी वे आपके लिए पूजनीय है| आप उनका भूल से भी अपमान नहीं करोगे|
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मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम, महातेजस्वी श्रीपरशुराम, महाराज पुरु, महारथी भीष्म पितामह आदि सब महान पितृभक्त थे| विनता-नंदन गरुड़, बालक लव-कुश, वभ्रूवाहन, दुर्योधन और सत्यकाम आदि महान मातृभक्त थे| कोई भी ऐसा महान व्यक्ति आज तक नहीं हुआ जिसने अपने माता-पिता की सेवा नहीं की हो| "पितरी प्रीतिमापन्ने प्रीयन्ते सर्व देवता|" श्री और श्रीपति, शिव और शक्ति ------- वे ही इस स्थूल जगत में माता-पिता के रूप में प्रकट होते हैं| उन प्रत्यक्ष देवी-देवता के श्री चरणों में प्रणाम करने का महा मन्त्र है ---

"ॐ ऐं ह्रीं"|
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यह मन्त्र स्वतः चिन्मय है| इस प्रयोजन हेतु अन्य किसी विधि को अपनाने की आवश्यकता नहीं है|
- "ॐ" तो प्रत्यक्ष परमात्मा का वाचक है|
- "ऐं" पूर्ण ब्रह्मविद्या स्वरुप है| यह वाग्भव बीज मन्त्र है महासरस्वती और गुरु को प्रणाम करने का| गुरु रूप में पिता को प्रणाम करने से इसका अर्थ होता है -- हे पितृदेव मुझे हर प्रकार के दु:खों से बचाइये, मेरी रक्षा कीजिये|
- "ह्रीं" यह माया, महालक्ष्मी और माँ भुवनेश्वरी का बीज मन्त्र है जिनका पूर्ण
प्रकाश स्नेहमयी माता के चरणों में प्रकट होता है|
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अब और आगे इसकी महिमा नहीं लिख सकता क्योंकि अब मेरी वाणी और भाव माँ के परम प्रेम से अवरुद्ध हो गए है| अब आगे जो भी है वह आप स्वयं ही समझ लीजिये| वह मेरी क्षमता से परे है| ॐ मातृपितृ चरण कमलेभ्यो नम:|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२० मार्च २०१३

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