Monday 22 January 2018

बसंत पंचमी / सरस्वती पूजा २०१८ की शुभ कामनाएँ .....

बसंत पंचमी / सरस्वती पूजा की शुभ कामनाएँ .....
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आज से बसंत ऋतू का प्रारम्भ हो गया है| बसंत पंचमी पर पचास-साठ वर्ष पूर्व तक हरेक मंदिर में खूब भजन कीर्तन होते थे| आजकल अपना सांस्कृतिक पतन हो गया है अतः इस त्यौहार को मनाना भी प्रायः बंद सा ही हो गया है| बाहर खुले में जाइये, प्रकृति को निहारिये .... चारों ओर सरसों के पीले पीले फूल लहलहा रहे हैं, गेंहूँ की बालियाँ खिल रही हैं, कितना सुहावना मौसम है! लगता है स्वयं परमात्मा ने प्रकृति का शृंगार किया है| प्रकृति का आनंद लीजिये| बचपन में पढ़ी हुई एक लोककथा याद आ रही है कि इस दिन बालक भगवान श्रीकृष्ण ने भगवती श्रीराधा जी का शृंगार किया था| आज से विद्याध्ययन आरम्भ होता था, माँ सरस्वती की आराधना होती थी और गुरुओं का सम्मान होता था|
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आज अधिक से अधिक मौन रखिये और भगवान का खूब ध्यान कीजिये| माँ सरस्वती के गुरु प्रदत्त वाग्भव बीज मन्त्र का खूब जप करें| वाग्भव बीज मन्त्र माँ सरस्वती की आराधना के लिए भी है और गुरु चरणों की आराधना के लिए भी|
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माँ सरस्वती की स्तुति .....
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"या कुंदेंदु तुषारहार धवला, या शुभ्र वस्त्रावृता |
या वीणावर दण्डमंडितकरा, या श्वेतपद्मासना ||
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभ्रृतिभिर्देवै: सदा वन्दिता |
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेष जाड्यापहा ||
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमां आद्यां जगद्व्यापिनीं |
वीणा पुस्तक धारिणीं अभयदां जाड्यान्धकारापहां ||
हस्ते स्फटिक मालीकां विदधतीं पद्मासने संस्थितां |
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धि प्रदां शारदां" ||
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२२ जनवरी २०१८

1 comment:

  1. ॐ "ऐं" सद रुपिणी महासरस्वती वाग्भव ब्रह्म विद्यायें त्वाम् |
    "ऐं" को वाग्भव बीज कहते हैं, इस बीज मन्त्र का मानसिक जप महासरस्वती की प्रीती के लिए भी होता है और गुरु की प्रीति के लिए भी| ॐ ॐ ॐ !!

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