Monday 22 January 2018

फालतू और घटिया विचारों से स्वयं को मुक्त करें .....

फालतू और घटिया विचारों से स्वयं को मुक्त करें .....
.
जब किसी बगीचे में फूल उगाते हैं तब वहाँ की भूमि में कंकर-पत्थर नहीं डालते. अपने दिमाग में फालतू और घटिया विचारों को न आने दें. प्रयास करते हुए फालतू और घटिया विचारों से स्वयं को मुक्त करो. घर में जब किसी को बुलाते हैं तब घर की सफाई करते हैं. यहाँ तो हम साक्षात परमात्मा को आमंत्रित कर रहे हैं. क्या उनको अपने ह्रदय की चेतना में प्रतिष्ठित करने से पूर्व मन को घटिया विचारों से मुक्त नहीं करेंगे? अन्यथा वे यहाँ क्यों आयेंगे?
.
निरंतर मन्त्र जाप का उद्देश्य ही यही है कि परमात्मा का एक गुण विशेष हमारे में स्थापित हो जाए और फालतू की बातें मन में न आयें. मन्त्र अनेक हैं, पर सारे उपनिषद् और भगवद्गीता ओंकार की महिमा से भरे पड़े हैं. कहीं पर भी निषेध नहीं है. जो निषेध करते हैं, उन से मैं सहमत नहीं हूँ. मन्त्रों में प्रणव यानि ॐ सबसे बड़ा मन्त्र है, और तंत्रों में आत्मानुसंधान सबसे बड़ा तंत्र है. यदि आप किसी गुरु परम्परा के अनुयायी हैं तो अपने गुरु मन्त्र का ही जप करें क्योंकि गुरु ने आपका दायित्व लिया है.
.
मेरे माध्यम से जो भी विचार व्यक्त होते हैं उनका श्रेय परमात्मा को, सदगुरुओं और संतों को जाता है जिन की मुझ पर अपार कृपा है. इसमें मेरी कोई महिमा नहीं है. मेरे में न तो कोई लिखने की सामर्थ्य है न ही मुझे कुछ आता जाता है. ये मेरी कोई बौद्धिक सम्पदा नहीं हैं. सब परमात्मा के अनुग्रह का फल है. मुझे उनसे भी प्रसन्नता है जो इन्हें शेयर करते हैं, और उनसे भी प्रसन्नता है जो इन्हें कॉपी पेस्ट कर के अहंकारवश अपने नाम से पोस्ट करते हैं. मेरी ईश्वर लाभ के अतिरिक्त अन्य कोई कामना नहीं है पर यह एक संकल्प प्रभु ने मुझे अवश्य दिया है कि सनातन धर्म की पुनर्प्रतिष्ठा हो, और भारत माँ अपने द्वीगुणित परम वैभव के साथ अखंडता के सिंहासन पर बिराजमान हो.
.
मुझे मेरी वैदिक संस्कृति, सनातन धर्म व परम्परा, गंगादि नदियाँ, हिमालयादि पर्वत, वन और उन सब लोगों से प्रेम है जो निरंतर परमात्मा का चिन्तन करते हैं और परमात्मा का ही स्वप्न देखते हैं. यह मेरा ही नहीं अनेक मनीषियों का संकल्प है जिसे जगन्माता अवश्यमेव पूर्ण करेगी. मैं उन सब का सेवक हूँ जिन के ह्रदय में परमात्मा को पाने की एक प्रचंड अग्नि जल रही है, जो निरंतर प्रभु प्रेम में मग्न हैं. उन के श्रीचरणों की धूल मेरे माथे की शोभा है. अन्य मेरी कोई किसी से अपेक्षा नहीं है.
.
सब के ह्रदय में प्रभुप्रेम जागृत हो और जीवन में पूर्णता प्राप्त हो. सबको शुभ कामनाएँ और सादर प्रणाम !
ॐ श्रीगुरवे नमः | ॐ नमो भगवते वासुदेवाय | ॐ नमः शिवाय !
ॐ तत्सत्ॐ ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२२ जनवरी २०१८

No comments:

Post a Comment